ग्रामीण भारत में शिक्षा की वर्तमान स्थिति

Authors(1) :-डाॅ0 राजन गुप्ता

शिक्षा प्रत्येक युग में सभ्य मानव के जीवन का एक अपरिहार्य अंग रहा है। वर्तमान युग की यह एक बहुत बड़ी मांग है कि समाज शिक्षा के लिये सभी साधनों को प्रदान करें और शिक्षा समाज के अनुरूप हो यदि हम शिक्षा की गहराई में दृष्टिपात करें तो यह ज्ञात होता है कि शिक्षा का सर्वोच्च कार्य, व्यक्ति एवं समाज के आचरण को विकसित करना है। वर्तमान सरकार ने देशभर में मूलभूत ढांचागत सुधारों और विस्तार कार्यक्रमों को तेजी से बढ़ावा दिया है, जिससे ग्रामीण विद्यालयी ढांचे में भी पर्याप्त सुधार होने की संभावना है। दावों को सच माने तो लगभग सभी ग्रामीण विद्यालयों में बालक-बालिकाआंे के लिये अलग-अलग शौचालय उपलब्ध हो गया हैं, बिजली पहुंच गई हैं। विद्यालयों तक पक्की सड़के पहुँच गयी है; लेकिन शिक्षकांे, पुस्तकालयों, प्रयोगशालाओं, कम्प्यूटरों, शिक्षण सहायक युक्तियों विद्यालय की उपयुक्त पक्की इमारतों आदि का अभाव बना हुआ है; और इसके बिना गुणवत्तापूर्ण शिक्षण-अधिगम वातावरण का निर्माण नहीं हो सकता। प्रस्तुत शोध ग्रामीण शिक्षा की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करना है।

Authors and Affiliations

डाॅ0 राजन गुप्ता
समाजशास्त्र विभाग, माँ गायत्री महाविद्यालय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, भारत

व्यक्ति एवं समाज, मूलभूत ढांचा, पुस्तकालय तथा प्रयोगशाला आदि।

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Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 2 | March-April 2020
Date of Publication : 2020-03-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 43-46
Manuscript Number : SHISRRJ203312
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डाॅ0 राजन गुप्ता, "ग्रामीण भारत में शिक्षा की वर्तमान स्थिति", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 3, Issue 2, pp.43-46, March-April.2020
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ203312

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