Manuscript Number : SHISRRJ2033123
श्रीमद्भगवद्गीता में सगुणोपासना
Authors(1) :-सुभाष सिंह भारतीय संस्कृति का प्रवाह सहस्रों वर्षों से वेद और उपनिषद् के काल से लेकर आज तक निरन्तर बहता चला हा रहा है जैसे हिमालय की गोद में गंगा निरन्तर समुद्र की ओर जाती है और मार्ग में असंख्य मानवों को लाभान्वित करती जाती है उसी प्रकार से हमारी धार्मिक धरोहर सहस्रों वर्षों से प्राणियों को प्रभावित करते हुए बहती आ रही है। वेद उपनिषद्, पुराण रामायण, महाभारत हमारे धर्म के प्रकाश स्तम्भ हैं जिनसे आज भी हमें प्रेरणा और शक्ति मिलती है। श्रुति और स्मृति के इस अद्भुत आकाश में सबसे उज्ज्वल नक्षत्र श्रीमद्भगवद्गीता है।
सुभाष सिंह श्रीमद्भगवद्गीता, रामायण, महाभारत Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 1 | January-February 2020 Article Preview
शोधच्छात्र संस्कृत विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज, भारत
Date of Publication : 2020-01-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 278-280
Manuscript Number : SHISRRJ2033123
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ2033123