Manuscript Number : SHISRRJ2033133
विचारधारा, आधुनिक हिन्दी कविता और निराला का शिल्प-सौन्दर्य
Authors(1) :-प्रशांत कुमार विचारधारा का यह दुर्भाग्य रहा है कि उसका प्रयोग नकारात्मक अर्थों में अधिक होता आया है । सन 1960 में डेनियल बेल की पुस्तक ‘दि एंड आफ आईडियालॉजी’ के साथ विचारधारा के अंत की घोषणा होती है । इसके साथ जब रोला बार्थ का ‘लेखक की मृत्यु‘ का सिद्धान्त जुड़ता है तो साहित्य से भी विचारधारा को खदेड़ने की माँग होने लगती है । मलार्मे का एक प्रसिद्ध कथन है- काव्य की रचना विचारों से नहीं शब्दों से होती है । इस उक्ति का उपयोग साहित्य में विचारों की प्रतिष्ठा के विरोध में किया जाता है । विचारधारा के विरोध में भी एक विचारधारा काम करती है जिसका कुछ न कुछ व्यक्तिगत, कला-संबंधी, वर्गीय या दलीय प्रयोजन होता है । ध्यातव्य है कि जिस समय यूरोप एवं अमेरिका में विचारधारा के अंत की घोषणा की जा रही थी, उस समय कविता मनुष्य से अपना संबंध-विच्छेद कर शाब्दिक जालों में उलझी हुई थी । ई0ई0 कंमिग्ज या सैण्डबर्ग उस समय कविता की विषय-वस्तु एवं मानवीय संबंधों को नजरअंदाज कर रहे थे । सैण्डबर्ग ने घोषणा की थी कि कविता काव्यात्मक विषयों की आकांक्षिणी नहीं होनी चाहिए और वह ‘स्टीम इंजन’ पर लिखी जानी चाहिए । कमिंग्ज शब्दों के अक्षरों को तोड़कर अर्थहीन या अर्थमुक्त उद्भावनाएं कविता के रूप में प्रस्तुत कर रहे थे । वस्तुतः विचारधारा को खारिज करने की वकालत साहित्य में मनुष्य की उपस्थिति को एक हद तक अप्रकाशित रखने और साहित्य में कलावाद को जीवित करने का एक प्रयास थी । हिन्दी कविता में विचारधारा के बरक्स कवितायें लिखी गई हैं । निराला की कवितायें अपने विचारधारा के बरक्स विशेष शिल्प कला के लिए भी रेखांकित की जाती रही हैं । इस शोध पत्र में निराला के शिल्प सौन्दर्य को केंद्र में रखकर उनके विचारधारात्मक सौन्दर्य को रेखांकित किया गया है ।
प्रशांत कुमार हिन्दी कविता, विचारधारा, निराला का साहित्य, भाषा, कविता का शिल्प पक्ष । Publication Details Published in : Volume 5 | Issue 1 | January-February 2022 Article Preview
शोधार्थी, भारतीय भाषा केंद्र, भाषा, साहित्य और संस्कृति अध्ययन केंद्र, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
Date of Publication : 2022-01-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 112-118
Manuscript Number : SHISRRJ2033133
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ2033133