संयुक्त पंजाब का गठन

Authors(2) :-राजेश रांझा, डॉ. अजमेर सिंह पुनिया

संयुक्त पंजाब का गठन एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक घटना होगा। इसका अर्थ है कि दो या दो से अधिक पंजाब राज्यों का एक समूह मिलकर एकीकृत प्रदेश बनाएंगे। इस गठन के द्वारा, समृद्धि और विकास के लिए संगठित तरीके से संभावनाएं उत्पन्न की जा सकती हैं, जो एक बड़े प्रदेश के रूप में नहीं मिल पाती हैं। इस गठन का प्रमुख उद्देश्य राजनीतिक और आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देना होगा, साथ ही सामाजिक समानता और विकास को सुनिश्चित करना होगा। एक संयुक्त पंजाब के गठन से प्राप्त लाभ में विकासशील क्षेत्रों के अनुदान में वित्तीय और आर्थिक सहायता शामिल हो सकती है, जिससे वहाँ की जनता को बेहतर जीवन का अवसर मिल सके। यह गठन पंजाब क्षेत्र के निर्माण में नई दिशा और उत्थान का संकेत करेगा, जिससे लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आ सकता है। इस प्रकार, संयुक्त पंजाब का गठन एक सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, जो क्षेत्र के विकास और प्रगति के लिए नई दिशा प्रदान कर सकता है।

Authors and Affiliations

राजेश रांझा
शोधार्थी, विभाग : इतिहास, एनआईआईएलएम विश्वविद्यालय, कैथल
डॉ. अजमेर सिंह पुनिया
पर्यवेक्षक, विभाग : इतिहास, एनआईआईएलएम विश्वविद्यालय, कैथल

संयुक्त पंजाब, भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन, विविधता, राजनीतिक चेतना, सांझा लक्ष्य, समुदाय, राजनीतिक संगठन, सामूहिक पहचान, पंजाबी नेता, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, जन आंदोलन, असहयोग, सविनय अवज्ञा।

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Publication Details

Published in : Volume 5 | Issue 1 | January-February 2022
Date of Publication : 2022-01-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 202-205
Manuscript Number : SHISRRJ2033142
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

राजेश रांझा, डॉ. अजमेर सिंह पुनिया, "संयुक्त पंजाब का गठन", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 5, Issue 1, pp.202-205, January-February.2022
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ2033142

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