महाभारत में वास्तु शास्त्र विषयक चिन्तन

Authors(1) :-डॉ0 वन्दना द्विवेदी

महाभारत में स्थापत्यकला से सम्बद्ध जितनी सामग्री मिलती हैए वह परवर्ती वास्तुशास्त्रीय ग्रन्थों की रचना में उपजीव्यता प्रदान करती है। विशेषकर नगरए प्रसाद आदि एवं उनकी सुरक्षा के उपाय जैसे प्राकारण् परिखाए अट्टालकए दुर्ग आदि की रचना एवं नगरादि के देवतुल्यीकरण एवं सौन्दर्यीकरण जैसे विषयों के लक्षण.निर्धारण में महाभारत के तत्तत् वर्णनों का प्रभाव दृष्टिगोचर होता है।

Authors and Affiliations

डॉ0 वन्दना द्विवेदी
असि0 प्रोफेसरए संस्कृत विभागए नवयुग कन्या महाविद्यालयए लखनऊॉ उत्तर प्रदेशॉ भारत।

महाभारतॉ वास्तुशास्त्रॉ स्थापत्यकलाॉ संस्कृतभाषाॉ सभ्यताए दार्शनिक विचारए सामाजिकॉ इतिहास।

  1. महाभारत आदि पर्व अण्.199 चतुर्दिक्ष चतुर्द्वारं गौपुरैश्च समान्वितम्।
  2. पाण्डुरै र्भवनोत्तमैः। महाभारत आदि पर्व।19
  3. उद्यानानि च रम्याणि नगरस्य समन्ततः। वही आदि पर्व अण् 199
  4. आनुगड़गम् हास्तिनपुरम्.महाभाष्य 2ध्1ध्16
  5. द्वारकामावृतां रम्यां सुकृतां विश्वकर्मणा। महाभारत सभापर्व.57
  6. महाभारत शान्तिपर्व अण् 86ए11
  7. महाभारत सभापर्व.3.22.38

Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 3 | May-June 2020
Date of Publication : 2020-05-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 92-97
Manuscript Number : SHISRRJ203320
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डॉ0 वन्दना द्विवेदी, "महाभारत में वास्तु शास्त्र विषयक चिन्तन", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 3, Issue 3, pp.92-97, May-June.2020
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ203320

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