Manuscript Number : SHISRRJ203327
सुरेन्द्र वर्मा के उपन्यासों में मध्यवर्गीय जीवन का यथार्थ
Authors(1) :-अंबिका कुमारी सुरेन्द्र वर्मा के उपरोक्त चारों उपन्यास मध्यवर्गीय जीवन-संघर्ष की महागाथा हैं। मध्यवर्गीय जीवन-संघर्ष के दौरान एक मनुष्य की जो परिस्थितियाँ होती हैं, उसका सजीव व जीवंत चित्र उपन्यासकार ने खींचा है। साहित्यिक पारंपरिक मूल्यों की चुनौतियों के बावजूद उन्होंने पुरुष-वेश्या और यौन-संबंध जैसे महत्त्वपूर्ण विषयों को अपने उपन्यासों में जगह देकर बड़ी निर्भीकता दिखाई है। उपन्यासों में मध्यवर्गीय जीवन के विविध पक्षों व भावों के यथार्थ तथा मार्मिक चित्रण के साथ-साथ उसके जीवन पर उपभोक्तावादी संस्कृति के पड़ने वाले प्रभावों व चुनौतियों की ओर भी सार्थक संकेत किया गया है। चारों उपन्यास-कथाओं के चारित्रिक पात्र सामयिक हों या ऐतिहासिक, यथार्थ हों या काल्पनिक; वे तमाम पात्र प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से मध्यवर्गीय जीवन-संघर्ष से आबद्ध हैं और कई जगह ये पात्र जीवन की आनेवाली चुनौतियों से दो-दो हाथ करते हुए नज़र आते हैं। निर्विवाद रूप से कहा जा सकता है कि भारतीय मध्यवर्गीय समाज और जीवन-संघर्ष की जितनी विडंबनाएँ व जटिलाताएँ हैं, उसे वर्मा जी ने हूबहू अपने उपन्यासों में बड़ी सार्थकता और सफलता के साथ अभिव्यक्त किया है।
अंबिका कुमारी सुरेन्द्र वर्मा‚ उपन्यास‚ मध्यवर्गीय जीवन-संघर्ष‚ महागाथा‚ सजीव व जीवंत‚ साहित्यिक। Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 3 | May-June 2020 Article Preview
पीएचडी-शोधार्थी, हिंदी एवं तुलनात्मक साहित्य विभाग, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विवि वर्धा, महाराष्ट्र,भारत।
Date of Publication : 2020-06-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 113-118
Manuscript Number : SHISRRJ203327
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ203327