Manuscript Number : SHISRRJ2033323
मगही के जनपक्षधर कवि मथुरा प्रसाद 'नवीन'
Authors(1) :-राम उदय कुमार मथुरा प्रसाद नवीन जी मगही भाषा (बोली) के कवि हैं। एक क्षेत्रीय भाषा के कवि होकर भी इनकी कविताओं में राष्ट्रीय चेतना और राष्ट्रीय -अंतर्राष्ट्रीय की चिंताएं मौजूद हैं। नवीनजी की कविता में बनावटीपन नहीं है। यहाँ भारी-भरकम शब्द - जंजाल और खिलवाड न मिलेगा और न ही ऊपरी या आकाशी बातें मिलेंगी। यहाँ कवि जड को पकड़ता है क्योंकि खुद भी मिट्टी से जुड़ा हुआ है. वे जनपक्षधर कवि हैं जिनकी कविता में जनता की चिंताएं शामिल हैं। लोकतंत्र की विडंबनाएँ और इसका विरोधाभास उनकी कविताओं में मौजूद है।
राम उदय कुमार जनता, लोकतंत्र, जन, सत्ता, भ्रष्टाचार, राजनीति, भारत
Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 3 | May-June 2020 Article Preview
सह प्राध्यापक, हिंदी विभाग, शिवदेनी साव कॉलेज, कलेर, अरवल, बिहार, भारत।
Date of Publication : 2020-06-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 220-226
Manuscript Number : SHISRRJ2033323
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ2033323