मगही के जनपक्षधर कवि मथुरा प्रसाद 'नवीन'

Authors(1) :-राम उदय कुमार

मथुरा प्रसाद नवीन जी मगही भाषा (बोली) के कवि हैं। एक क्षेत्रीय भाषा के कवि होकर भी इनकी कविताओं में राष्ट्रीय चेतना और राष्ट्रीय -अंतर्राष्ट्रीय की चिंताएं मौजूद हैं। नवीनजी की कविता में बनावटीपन नहीं है। यहाँ भारी-भरकम शब्द - जंजाल और खिलवाड न मिलेगा और न ही ऊपरी या आकाशी बातें मिलेंगी। यहाँ कवि जड को पकड़ता है क्योंकि खुद भी मिट्टी से जुड़ा हुआ है. वे जनपक्षधर कवि हैं जिनकी कविता में जनता की चिंताएं शामिल हैं। लोकतंत्र की विडंबनाएँ और इसका विरोधाभास उनकी कविताओं में मौजूद है।

Authors and Affiliations

राम उदय कुमार
सह प्राध्यापक, हिंदी विभाग, शिवदेनी साव कॉलेज, कलेर, अरवल, बिहार, भारत।

जनता, लोकतंत्र, जन, सत्ता, भ्रष्टाचार, राजनीति, भारत

Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 3 | May-June 2020
Date of Publication : 2020-06-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 220-226
Manuscript Number : SHISRRJ2033323
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

राम उदय कुमार, "मगही के जनपक्षधर कवि मथुरा प्रसाद 'नवीन' ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 3, Issue 3, pp.220-226, May-June.2020
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ2033323

Article Preview