Manuscript Number : SHISRRJ203336
भवभूति के नाटकों में वाचिक-अभिनय: एक अनुशीलन
Authors(1) :-इन्दल भवभूति अपनी कल्पना शक्ति एवं रचना कौशल के माध्यम से नाट्य-परम्परा का अनुकरण करते हुए, उत्तररामचरितम् को सुखान्त रूपक बना दिया। भवभूति ने नाटक में वाचिक अभिनयें का प्रयोग किया है। यहाँ सम्पूर्ण चमत्कार वाचिक-अभिनय के माध्यम से उत्पन्न्ा होता है। इस प्रकार से कवि ने वाचिक-अभिनय का सफल प्रयोग किया है।
इन्दल भवभूति, नाटक, वाचिक, अभिनय, कल्पना, कौशल, संस्कृत, साहित्य, रूपक।
उत्तररामचरितम्, प्रथम अंक, पृ0 134। उत्तररामचरितम्, प्रथम अंक, पृ0 134। उत्तररामचरितम्, 1/12। उत्तररामचरितम्, द्वितीय अंक, पृ0 203। उत्तररामचरितम्, द्वितीय अंक, पृ0 204। उत्तररामचरितम्, 2/26। उत्तररामचरितम्, 4/1। उत्तररामचरितम्, षष्ठ अंक, पृ0 431। उत्तररामचरितम्, सप्तम अंक, पृ0 479। उत्तररामचरितम्, 4/7। उत्तररामचरितम्, चतुर्थ अंक, पृ0 319। उत्तररामचरितम्, 5/13-14। Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 2 | March-April 2020 Article Preview
पूर्व शोधच्छात्र, संस्कृत विभाग, बी0आर0डी0बी0डी0पी0जी0 काॅलेज, आश्रम बरहज देवरिया, उत्तर प्रदेश,भारत।
Date of Publication : 2020-03-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 66-70
Manuscript Number : SHISRRJ203336
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ203336