भवभूति के नाटकों में वाचिक-अभिनय: एक अनुशीलन

Authors(1) :-इन्दल

भवभूति अपनी कल्पना शक्ति एवं रचना कौशल के माध्यम से नाट्य-परम्परा का अनुकरण करते हुए, उत्तररामचरितम् को सुखान्त रूपक बना दिया। भवभूति ने नाटक में वाचिक अभिनयें का प्रयोग किया है। यहाँ सम्पूर्ण चमत्कार वाचिक-अभिनय के माध्यम से उत्पन्न्ा होता है। इस प्रकार से कवि ने वाचिक-अभिनय का सफल प्रयोग किया है।

Authors and Affiliations

इन्दल
पूर्व शोधच्छात्र, संस्कृत विभाग, बी0आर0डी0बी0डी0पी0जी0 काॅलेज, आश्रम बरहज देवरिया, उत्तर प्रदेश,भारत।

भवभूति, नाटक, वाचिक, अभिनय, कल्पना, कौशल, संस्कृत, साहित्य, रूपक।

उत्तररामचरितम्, प्रथम अंक, पृ0 134।

उत्तररामचरितम्, प्रथम अंक, पृ0 134।

उत्तररामचरितम्, 1/12।

उत्तररामचरितम्, द्वितीय अंक, पृ0 203।

उत्तररामचरितम्, द्वितीय अंक, पृ0 204।

उत्तररामचरितम्, 2/26।

उत्तररामचरितम्, 4/1।

उत्तररामचरितम्, षष्ठ अंक, पृ0 431।

उत्तररामचरितम्, सप्तम अंक, पृ0 479।

उत्तररामचरितम्, 4/7।

उत्तररामचरितम्, चतुर्थ अंक, पृ0 319।

उत्तररामचरितम्, 5/13-14।

Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 2 | March-April 2020
Date of Publication : 2020-03-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 66-70
Manuscript Number : SHISRRJ203336
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

इन्दल, "भवभूति के नाटकों में वाचिक-अभिनय: एक अनुशीलन", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 3, Issue 2, pp.66-70, March-April.2020
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ203336

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