Manuscript Number : SHISRRJ203337
जैव उर्वरक (कल्चर)
Authors(1) :-डॉ. नरेन्द्र कुमार सांखला
कृषि प्रधान देशों में भारत वर्ष का नाम भी अग्रणी है। हरित क्रांति के आव्हान के साथ ही देश में कृषि उत्पादन वृद्धि के भिन्न पहलुओं पर विचार विमर्श आरंम्भ हो चुका था। आधुनिक तकनीक एवं कम लागत के संसाधनों की आवश्यकता महसूस की गई। आधुनिक कृषि में जैव उर्वरकों के उपयोग पर चर्चा हो रही है किन्तु जैव उर्वरकों के इतिहास पर नजर डाले तो पता चलता है कि सन 1834 में वैज्ञानिक बॉसिनगॉट ने सर्वप्रथम जैविक नत्रजन यौगिकीकरण की अवधारण की खोज की तथा हैलरी गेल तथ विलफार्थ ने 1886 में इसे समर्थन दिया। एजोटोबैक्टर जैव उर्वरक ग्राम अग्राही अंडकार दण्डाणु होता है। ये आक्सीजीवी जीवाणु होता है। एजोला स्वच्छ पानी में तैरती हुई अवस्था में पाया जाने वाला एक निम्नवर्गीय पादप है जो विश्वभर में पाया जाता है। ये स्वच्छ पानी के तालाबों, गडडो तथा झीलों में पानी की सतह पर तैरता हुआ दिखाई देता है।
डॉ. नरेन्द्र कुमार सांखला
जैव‚ उर्वरक‚ कल्चर‚ कृषि‚ देश‚हरित। Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 2 | March-April 2020 Article Preview
भूगोल विभाग‚ पोस्ट – डोक्ट्ररल फैलो (ICSSR)‚ राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर‚ भारत।
Date of Publication : 2020-03-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 71-100
Manuscript Number : SHISRRJ203337
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ203337