Manuscript Number : SHISRRJ203349
सल्तनतकालीन मिथिला की लोक संस्कृति
Authors(1) :-विजय कुमार मिश्रा मैथिली में लोकगाथा शैली अति प्राचीनकाल से प्रचलित रही है। विभिन्न जाति के ऐतिहासिक व्यक्तित्व के संबंध में अधिक ओजस्वी शैली में रचित गेय लोक गाथाएँ आदिकाल से ही प्रचलित रही है। इसे लोक महाकाव्य भी कहा जा सकता है। नृत्य की यह शैली अत्यधिक लोकप्रिय और मनोहारिणी है। कल्पना की उड़ान, कथानक की छवि छटा, धीरोदात नायक का इन्द्रधनुषी चरित्र यह सब मिलकर एक अपूर्व वातावरण की सृष्टि करता है। चूड़ियों के साथ ही सुनाई देती तलवार की झंकार। युद्ध और रोमांस हाथ में हाथ मिलाकर चल रहे होते। इन नृत्यों में भक्ति, पे्रम और मनोरंजन का समावेश रहता है।
विजय कुमार मिश्रा लोकगाथा, लोक संस्कृति, नृत्य, मनोरंजन Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 4 | July-August 2020 Article Preview
ग्राम-लदारी, पो0-समैला लालगंजए भाया-केवटी, जिला-दरभंगा, बिहार, भारत।
Date of Publication : 2020-07-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 21-23
Manuscript Number : SHISRRJ203349
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ203349