Manuscript Number : SHISRRJ203352
मिथिला का जनजीवन: एक ऐतिहासिक अध्ययन
Authors(1) :-डाॅ0 गरिमा मिथिला की पावन भूमि, प्रागैतिहासिक काल से ही अपनी बौद्धिक, आध्यात्मिक और समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं के लिए भारत एवं अन्य देशों में अपनी विशिष्ट पहचान रखता रहा है। आधुनिक युग में भी यह क्षेत्र मैथिल, मैथिली पान, माछ, मखान एवं उच्च स्तरीय मिथिला पेंटिग्स के लिए प्रसिद्ध है। मिथिला के जनजीवन की विवेचना हेतु प्रस्तावित है। जनजीवन की एक विस्तृत फलक को समेटे रहती है। यह एक बड़े कैनवास पर बहुरंगी चित्रों से चित्रित होती है। बहुआयामी ही नहीं अपने परतों से निर्मित एवं रूपायित होता है किसी क्षेत्र का जनजीवन। क्षेत्र की जीवन पद्धति, सामाजिक व्यवस्था, प्रचलन या रीति-रिवाज, पर्व-त्योहार, लोकगीत, धार्मिक अनुष्ठानों, सांस्कृतिक विरासतों, लोकमानस और विश्वास, चित्रकला, शिल्प, लोकसाहित्य जैसे अनेक आयामों को आत्मसात किए जनजीवन की सरिता प्रवाहित होती रहती है। किसी क्षेत्र का जन-जीवन जीवन के सुर, ताल लय आदि से गुजित होता रहता है।
डाॅ0 गरिमा Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 4 | July-August 2020 Article Preview
एम.ए., पीएच.डी. (इतिहास) बी.आर.ए. बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर (बिहार), भारत।
Date of Publication : 2020-07-30
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Page(s) : 45-51
Manuscript Number : SHISRRJ203352
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ203352