Manuscript Number : SHISRRJ203354
स्वराज्य एवं सविनय अवज्ञा आन्दोलन में महात्मा गाँधी की भूमिका: एक अध्ययन
Authors(1) :-डाॅ0 रेखा कुमारी यों तो 1930-34 का सविनय अवज्ञा आन्दोलन महात्मा गाँधी के स्वराज्य की सामाजिक एवं आर्थिक अवधारणाओं के तहत ही शुरू किया गया और उसी दिशा में उसका संचालन किया गया, पर भारतीय राष्ट्रीय जीवन से जुड़ी अन्य सामाजिक-आर्थिक अवधारणाएँ भी इस दिशा में सहायक हुई थी। इसका विश्लेषण सुमित सरकार से किया है। उन्होंने सविनय अवज्ञा आन्दोलन के लिए मंदी का विश्लेषण करते हुए कहा है कि 1929 के अंत में आनेवाली विश्वव्यापी मंदी ने भारत को मुख्यतः दो रूपों में प्रभावित किया था: एक तो कीमतों में, विशेष रूप से कृषि उत्पादों की कीमतों में, तीव्र गिरावट लाकर, और दूसरे, संपूर्ण निर्यात पर आधारित औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था में गंभीर संकट उत्पन्न करके। अखिल भारतीय सामान्य मूल्य सूचकांक (1873-100), जो 1929 में 203 था, 1930 में गिरकर 171 हो गया और फिर 1931 में 127, 1932 में 126, 1933 में 121 और 1934 में 119 रह गया। इसके बाद, इसमें थोड़ी वृद्धि हुई और यह 1937 में 136 हो गया। वस्तुतः कृषि उत्पादों की कीमतें तो 1926 से ही गिरनी आरंभ हो गई थीं, किंतु 1930 के बाद आनेवाली गिरावट भारत के लिए घातक सिद्ध हुई। कपास का अखिल भारतीय मूल्य (187-100), जो 1929 में 133 था, 1931 में गिरकर मात्र 70 रह गया। बंगाल में सर्दियों का चावल (1929-100) 1932 में 45.9 तक गिर गया और 1934 तक पटसन 43.5 ही रह गया। संयुक्त प्रांत में थोक मूल्य (1901-05-100) 1929 के 218 से गिरकर 1930 में 162, 1931 में 112, 1934 में 103 रह गये।
डाॅ0 रेखा कुमारी Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 4 | July-August 2020 Article Preview
एम.ए., पीएच.डी. (इतिहास), बी.आर.ए. बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर (बिहार), भारत।
Date of Publication : 2020-07-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 40-44
Manuscript Number : SHISRRJ203354
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ203354