Manuscript Number : SHISRRJ203512
रमानंद रेणु आ हुनक साहित्य
Authors(1) :-विनीत कुमार लाल दास जखन कोनो रचनाकार मोनमे कोनो बातकेँ ल क तीव्र वेदनाक संग उथल-पुथल होइत रहैत छैक, तखन ओहि क्षण ओहि व्यक्तिकेँ होइत रहैत छैक जे कखन आ कोना ई मानसिक वेदना जल्दीसँ-जल्दी दूर भ जाय। एहि क्षणिक मानसिक वेदनासँ त्राण पयबाक लेल बुद्धिजीवी लोकनि एक टा युक्ति निकालने छथि जे बैचारिक उथल-पुथल मचल अछि तकरा वा त कोनो व्यक्तिसँ साझा क देल जाय। तखन एहि क्षणसँ उबरल जा सकैत अछि। तखन एहि प्रकारक वेदनासँ पीड़ित लोक अपन-अपन बातकेँ लोकसँ साझा करय लगलाह मुदा हुनका लोकनिकेँ ई भान भेलन्हि जे महत्वपूर्ण बातकेँ बादमे सुरक्षित नहि राखि पबैत छी। तेँ जे बात हुनका सभक दृष्टिमे महत्वपूर्ण बुझयलन्हि, ओहि बातकेँ भविष्यमे सुरक्षित रहय, ई विचारि कलमबद्ध करय लगलाह। बादमे जखन ओहि रचनाक अध्ययन करल गेल त स्वरुपगत भिन्नता देखबामे अयलन्हि। तखन अध्ययन दृष्टिसँ स्वरूपक आधारपर ओकर वर्गीकरण करल गेल जकरा मुख्यतः दू भागमे राखल गेल- 1. गद्य आ 2. पद्य। जखन कोनो रचनामे दुनूक मिश्रित रूप देखबामे अयलनि तखन ओहि रचनाक नाम ‘चम्पू’ रखलन्हि मुदा तखनो अध्ययन करबामे असुविधाकेँ देखैत एकर आंतरिक रुपपर विचार करैत एकरो सभक भेदोपभेद करलाह जाहिमे गद्यक भेद करलाह- कथा, उपन्यास, निबंध, नाटक आदि।
विनीत कुमार लाल दास Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 4 | July-August 2019 Article Preview
एम.ए. (मैथिली), स्वर्ण पदक प्राप्त, नेट, पटना विश्वविद्यालय, पटना, शोधार्थी मैथिली विभाग ति. माँ भागलपुर विश्वविद्यालय, भागापुर,भारत।
Date of Publication : 2020-07-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 67-71
Manuscript Number : SHISRRJ203512
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ203512