Manuscript Number : SHISRRJ203513
मैथिलीक प्रमुख कथाकारक कथामे दाम्पत्य-जीवन
Authors(1) :-श्रवण कुमार
‘‘जे भाषा आइ ‘मैथिली’ नामे जानल जाइत तकर उल्लेख सर्वप्रथम यूरोपीय विद्वान कोलब्रुक द्वारा 1801 ई.मे भेल छल। डा. ग्रियर्सनक अनुसार कोलब्रुक अपन संस्कृत तथा प्राकृत संबंधी अनुसंधानात्मक विनिबंधमे मैथिलीक बंगलाक संग संबंधपर विचार कयने छथि तथा ओही क्रममे ईहो लिखने छथि जे जेँ मैथिली भाषाक प्रयोग साहित्यमे नहि होइत अछि तेँ एहि संबंधमे विशेष लिखब अनावश्यक अछि। एकर पश्चात सिरामपुरक मिशनरी लोकनि अपन सोसाइटीक 1816 ई.क 67म मेमाआयरमे अन्य आर्यभाषा सभक संग तुलना करैत मैथिलीक उल्लेख कयने छथि। मैथिलीक दोसर नाम ‘तिरहुतिया’ सेहो भेटैत अछि। एकर उल्लेख सन् 1771 ई०क बेलिगतीकृत ‘अल्फाबेटुम ब्राह्मनिकम’क अम्दुजक भूमिकामे भेल अछि। एहिमे कतोक भाषाक संग तुरूतियन (Tourutians) अथवा ‘तिरहुति’क उल्लेख सेहो भेटैत अछि। एकर अतिरिक्त फैलेन, हार्नले, केलोग तथा ग्रियर्सन सदृश भाषाशास्त्रक विद्वानलोकनिक स्वरचित ग्रंथ सभमे सेहो समय-समयपर एहि नाम सभक उल्लेख भेल अछि किन्तु एकर प्राचीनतम उल्लेख ‘आइने अकबरी’मे भेटैत अछि जतय लेखक एकरा एक टा पृथक भाषाक रुपमे स्वीकार कयने छथि। मिथिलामे मैथिली भाषाक हेतु सर्वप्रथम विद्यापति ‘देसिल बयना’ शब्दक प्रयोग कयलनि-
श्रवण कुमार
Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 4 | July-August 2019 Article Preview
शोधार्थी, मैथिली विभाग, ति0 मा0 भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर,भारत।
Date of Publication : 2020-07-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 72-78
Manuscript Number : SHISRRJ203513
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ203513