बाल श्रम प्र्रतिषेेध अधिनियम का विश्लेषणात्मक अध्ययन

Authors(1) :-डाॅ0 संदीप कुमार

कानून को इस युक्तियुक्त आधार वाक्य पर बनाया गया था कि, क्योंकि निर्धनता के मूल कारण को रातोंरात मिटाया नहीं जा सकता तो (उसका व्यवहारिक उपागम यह है कि, ‘बाल श्रम’ के व्यवसाय का नियंत्रित कर दिया जाए। इसके अनुसार 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों को संगठित खण्ड के चुनिन्दा क्षेत्रों में नौकर रखने की अनुमति प्रदान कर दी गई और उसके साथ-साथ उनकी ‘शिक्षा’ एवं ‘मनोरंजन’ की सुविधाओं का भी प्रावधान किया गया।

Authors and Affiliations

डाॅ0 संदीप कुमार
असि0 प्रोफेसर, समाजशास्त्र, इं0 सि0 स्व0 सं0से0 राजकीय महाविद्यालय, पचवस बस्ती, उत्तर प्रदेश, भारत।

कानून,बाल, श्रम, प्रतिषेध, अधिनियम, आधार, व्यवसाय, निर्धनता, श्रमिक, कल्याण।

  1. मुकर्जी, रविन्द्र नाथ, 2005 ‘सामाजिक शोध एवं सांख्यिकी‘, विवेक प्रकाशन जवाहर नगर, दिल्ली।
  2. सिंह निशांत, 2006 ‘सामाजिक न्याय और सतत् विकास‘, राधा पब्लिकेशन, नई दिल्ली।
  3. अर्चना श्रीवास्तव, ‘मानवता के नाम पर कलंक‘ योजना मई, 2008।
  4. अखिलेश आर्येन्दु, ‘बालश्रमिकों की स्थिति, समस्या एवं समाधान‘, कुरुक्षेत्र, नई दिल्ली।

Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 4 | July-August 2019
Date of Publication : 2020-07-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 105-110
Manuscript Number : SHISRRJ203516
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डाॅ0 संदीप कुमार, "बाल श्रम प्र्रतिषेेध अधिनियम का विश्लेषणात्मक अध्ययन", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 2, Issue 4, pp.105-110, July-August.2019
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ203516

Article Preview