Manuscript Number : SHISRRJ20352
आधाराधेयविचारः
Authors(1) :-विपिन कुमार आसन के अभ्यास के लिए आवश्यक शारीरिक और मानसिक स्थिरता पाने के लिए इस आसन का उपयोग होता है। इसमें मस्तिष्क की पेशियों में बिना बाधा के रक्त की आपूर्ति के कारण उसमें झोंके कम होती हैं, स्पंदन कम होते है, स्थिरता आ जाती है और तटस्थ वृत्ति उत्पन्न होती है। यहीं तटस्थता और निर्बाधता आगे के आसन अभ्यास की ठोस नींव बनती है। इस आसन से पूरा शरीर ताजा रहता है विशेष रूप से रीढ़ की हड्डियाँ और मज्जारज्जु तन जाने से शरीर का आलस्य दूर होकर मस्तिष्क फुर्तीला बनता है। अधोमुख श्वानासन के ये दो प्रकार के दोहरे लाभ ध्यान रखकर प्रातः अभ्यास के आरंभ में यह आसन करने से मन और शरीर तरोताजा बनकर कार्यशील हो जाता है। सायंकाल में आसनाभ्यास के आरंभ करने से शरीर और मन स्थिर होने में सहायता मिलती है।
विपिन कुमार अनुकूल, गुण, परिणाम, शारीरिक, मानसिक, प्रकृति, आसन, अभ्यास, मन। 1.कारकीये,स्वामी दयानन्द,परोपकारीणि सभा,अजमेर Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 5 | September-October 2020 Article Preview
शोधच्छात्रः, श्रीसोमनाथसंस्कृतविश्वविद्यालयः, गुजरात, भारतम्।
2.कारकम्,जि.महाबलेश्वरभट्टः,संस्कृतभारती,बेंगलूरु,2010
3.अष्टाध्यायी भाष्य प्रथमावृत्ति,श्री पं.ब्रह्मदत्त जिज्ञासु,रामलाल कपूर ट्रस्ट,हरियाणा,2008
4.संस्कृतविमर्शः,राष्ट्रियसंस्कृतसंस्थानम्, वर्षम् 2019
5.अष्टाध्यायीप्रवेश,रामलाल कपूर ट्रस्ट,हरियाणा,2008
Date of Publication : 2020-09-30
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Page(s) : 06-13
Manuscript Number : SHISRRJ20352
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ20352