Manuscript Number : SHISRRJ20353
संस्कृत साहित्य में वर्णित राजधर्म की वर्तमानकालिक प्रासंगिकता
Authors(1) :-डॉ. दिनेश शर्मा संस्कृत काव्यों में अनेकत्र वर्णित इन उपदेशों का अनुपालन करते हुए तत्कालीन राजवर्ग की नैतिकता, चरित्रों की पावनता तथा प्रजावत्सलता ज्ञात होती है। वस्तुतः वर्तमान शासन प्रणाली का मूल उत्स धर्मसूत्र एवं धर्मशास्त्र है, जिसका उपबृहण संस्कृत साहित्य में हुआ है।सहस्रों वर्षों के बाद भी स्मृति ग्रन्थों में निर्दिष्ट तथा संस्कृत काव्यों में राजाओं की राजव्यवस्था में अनुपालित राजधर्मविषयक सूत्रों का वर्तमान शासन व्यवस्था में महनीय योगदान परिलक्षित होता है। हजारों वर्ष पूर्व निर्मित ये सिद्धान्त यद्यपि भिन्न परिस्थितियों में लिखे गए थे किन्तु आज भी प्रासंगिक बने हुए हैं। वर्तमान शासन व्यवस्था में धर्मशास्त्र प्रोक्त इन राजधर्म विषयक गुणों का अनुकरण यदि वर्तमान शासक करें तो निश्चित रूप से प्रजा का हित हो सकता है। किञ्च संस्कृत साहित्य में वर्णित राजव्यवस्था के सूत्रों की हजारों वर्षों के उपरांत प्रासंगिकता से यह भी सिद्ध होता है कि ये रचनाएं कालजयी है।
डॉ. दिनेश शर्मा संस्कृत‚ साहित्य‚ राजधर्म‚ वर्तमानकालिक‚ नैतिकता‚ सार्वकालिक, सार्वभौमिक‚ सार्वजानिक। Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 5 | September-October 2020 Article Preview
सहायकाचार्य (साहित्य विभाग ), राजकीय संस्कृत महाविद्यालय-क्यार्टू, जिला-शिमला (हि. प्र.) भारत।
Date of Publication : 2020-09-30
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Page(s) : 14-20
Manuscript Number : SHISRRJ20353
Publisher : Shauryam Research Institute
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