प्रेमचंद की ग्रामीण चेतना ('सद्गति' कहानी के विशेष संदर्भ में)

Authors(1) :-प्रदीप कुमार साव

प्रेमचंद ने ‘सद्गति’ कहानी के माध्यम से समाज के यथार्थ को उजागर किया है। प्रेमचंद के समकालीन समाज में प्रखर रूप से जाति-पाति, वर्गों का भेदभाव था। उस समय में ब्राह्मणों का आदर सत्कार था। बाहरी रूप से दिखावा करते थे पर आंतरिक रूप से धर्म संस्कार के नाम पर निम्न जातियों पर शोषण करता था। इस कहानी के माध्यम से प्रेमचंद ने समाज की कुरीतियों के साथ-साथ उस वर्ग को उभारते हैं जो हाशिए पर पड़ा है ।

Authors and Affiliations

प्रदीप कुमार साव
शोध छात्र, हिंदी विभाग,काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, भारत।

सद्गति, भेदभाव

  1. हिन्दी कहानी का विकास- मधुरेश, समित प्रकशन, इलाहाबाद – 2018
  2. 2. हिन्दी कहानी का इतिहास – गोपाल राय-राजकमल प्रकाशन -2018
  3. परिकथा, द्विमासिक हिन्दी पत्रिका, गाँव–किसान अंक, जुलाई –अगस्त, 2019
  4. हंस, मासिक हिन्दी पत्रिका, संपादक- राजेंद्र यादव,अगस्त,-2006
  5. आजकल, हिन्दी पत्रिका,संपादक- फरहत परवीन, जुलाई-2015

Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 5 | September-October 2020
Date of Publication : 2020-09-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 57-60
Manuscript Number : SHISRRJ20360
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

प्रदीप कुमार साव, "प्रेमचंद की ग्रामीण चेतना ('सद्गति' कहानी के विशेष संदर्भ में) ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 3, Issue 5, pp.57-60, September-October.2020
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ20360

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