काश्मीर शैवदर्शन में अज्ञान तत्त्व

Authors(1) :-रवीन्द्र कुमार पंथ

भारतीय दार्शनिक परंपरा में अज्ञानतत्व का विश्लेषण प्रायः सभी दर्शनों में किया गया है। प्रायः ज्ञान का अभाव ही अज्ञान माना जाता है किन्तु शैव दार्शनिक अपूर्ण ज्ञान को ही अज्ञान मानते है। यह अपूर्ण ज्ञान जीव को अपने वास्तविक स्वरूप का होता है। यह भी कहा जा सकता है कि अपने चिदानन्द स्वरूप को न जानना ही अज्ञान है। अज्ञान दो प्रकार का होता है बौद्ध अज्ञान और पौरुष अज्ञान। बौद्ध अज्ञान कर्म से उत्पन्न शरीर में होता है तथा शिव स्वरूप जीव (पुरुष) में होता है। बौद्ध अज्ञान में जीव शरीर को ही सत्य तथा स्वस्वरूप समझता है किन्तु पौरुष अज्ञान में जीव अपने सर्वकर्तृत्व आदि के स्थान पर किंचित्कर्तृत्व आदि को ही अपना सामथ्र्य समझता है। शैव शास्त्र अज्ञान को त्रिविध मल रूप स्वीकार करते है। यह त्रिविध मल ही क्रम से जीव को बन्धन में डालता है, संसृति का हेतु है। यह त्रिविध मलरूप अज्ञान ही संसार के अंकुर का कारण बन जाता है। परमशिव तो पूर्ण संविद स्वरूप चिदानन्द रस से भरपूर है, किन्तु अपने स्वातन्न्न्य के कारण ही सर्वप्रथम आणव मल को धारण कर स्वरूप तथा स्वातन्न्न्य दोनों रूप से संकुचित हो जाता है। क्रम से संकुचित होने पर ज्ञानशक्ति अन्तःकरण की अवस्था प्राप्त करती है। यह मायीय मल के कारण होता है। पुनः वह कार्ममल से युक्त होकर नाना प्रकार के कर्माें को करते हुए आवागमन रूपी जन्ममरण के चक्र में बंध जाता है। इस प्रकास यही त्रिविध मल बन्धन बन जाते है। इस अज्ञान की निवृत्ति हेतु शैव दार्शनिक चार उपायों को बताते है- अनुपाय, शांभवापाय, शाक्तोपाय और आणवोपाय। इन्ही उपायों के बल से जीव का मल प्रक्षालित हो जाता है तथा जीव को अपने वास्तविक स्वरूप का ज्ञान हो जाता है। यही स्वरूप ज्ञान अज्ञान निवृत्ति तथा मोक्ष है। यही निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है।

Authors and Affiliations

रवीन्द्र कुमार पंथ
शोधच्छात्र, संस्कृत-विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली, भारत।

कश्मीर, शैवदर्शन,अज्ञान तŸव, भारतीय दर्शन, बौद्ध, ज्ञान।

  1. श्रीतन्त्रालोकः, अभिनवगुप्त, स. डाॅ. परमहंसमिश्रः ‘हंस’, सम्पूर्णानन्दसंस्कृतविश्वविद्यालयः वाराणसी
  2. प्रत्यभिज्ञाहृदयम्, क्षेमराज, अनु. व सम्प. जयदेव सिंह, मोतीलाल बनारसीदास दिल्ली ।
  3. श्रीमालिनीविजयोत्तरतन्त्रम्, सम्प. डाॅ. परमहंस मिश्रः ‘हंस’, सम्पूर्णानन्दसंस्कृतविश्वविद्यालयः वाराणसी
  4. शिवसूत्र सिद्धान्त और साधना, डाॅ. श्यामाकान्त द्विवेदी ‘आनन्द’, चैखम्बा सुरभारती प्रकाशन वाराणसी
  5. ईश्वरप्रत्यभिज्ञाविमर्शिनी, अभिनवगुप्त, सम्प. व व्याख्याकार श्री कृष्णानन्दसागर, चैखम्बा विद्याभवन, वाराणसी
  6. विज्ञानभैरव, सम्प. नन्दलाल दशोरा, रणधीर प्रकाशन, हरिद्वार

Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 6 | November-December 2020
Date of Publication : 2020-11-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 23-30
Manuscript Number : SHISRRJ203624
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

रवीन्द्र कुमार पंथ , "काश्मीर शैवदर्शन में अज्ञान तत्त्व", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 3, Issue 6, pp.23-30, November-December.2020
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ203624

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