कालिदास एवं शेक्सपियर की नाट्य प्रतिभावैशिष्टय

Authors(2) :-रश्मि गुप्ता, डाॅ. मनीष खैमरिया

कालिदास और शेक्सपियर अपने-अपने समय के युग प्रवर्तक रहे थे। इन महाकवियों की लेखनी की सर्वव्यापकता एवं सह-हृदयता विशिष्ट प्रतीक होती है। जहाँ कालिदास के सुखात्मक नाटक हैं वहीं शेक्सपियर के दुखात्मक नाटक हुए हैं। दोनों ही कवियों ने अपनी-अपनी तीक्ष्ण बुद्धि का प्रयोग कर समाज को एक नई दिशा प्रदान की और मानव जीवन का वास्तविक रूप उपस्थित किया।

Authors and Affiliations

रश्मि गुप्ता
शोध छात्रा, संस्कृत जी.वि.वि.ग्वालियर, मध्यप्रदेश,भारत।
डाॅ. मनीष खैमरिया
शोध निर्देशक, प्राध्यापक एवं संस्कृत विभागाध्यक्ष, शा.एम.एल. बी. काॅलेज ग्वालियर, मध्यप्रदेश, भारत।

कालिदास, शेक्सपियर, सुखात्मक, दुखात्मक, नाट्य, संस्कृति

  1. महाकवि कालिदास - डाॅ. रमाशंकर तिवारी - चै.प्रकाशन वाराणसी सं. 1999
  2. आचार्य भरत - डाॅ. शिवशरण शर्मा - म.प्र. अकादमी भोपाल- सं. 1971
  3. आचार्य भरत - डाॅ. शिवशरण शर्मा - म.प्र. अकादमी भोपाल- सं. 1971
  4. आचार्य भरत - डाॅ. शिवशरण शर्मा - म.प्र. अकादमी भोपाल- सं. 1971
  5. Macbeth-Dr. Gunjan Chaturvedi Mahalaxmi Prakashan Agra 1608
  6. King lear - B.L. Samdani - Lakshmi Narain Agar¡l Agra 1608
  7. Coleridge on Shakespeare - R.A. Foakes, London 1971

Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 6 | November-December 2020
Date of Publication : 2020-12-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 68-72
Manuscript Number : SHISRRJ203630
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

रश्मि गुप्ता, डाॅ. मनीष खैमरिया, "कालिदास एवं शेक्सपियर की नाट्य प्रतिभावैशिष्टय", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 3, Issue 6, pp.68-72, November-December.2020
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ203630

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