21वीं सदी के हिंदी उपन्यासों में अभिव्यक्त किसान जीवन की त्रासदी

Authors(1) :-सुभ्रांसिस बारिक

भारत जिस तेजी से विश्व पटल में अपने विकास का चित्र बना रहा है उसी तेजी से भारत में किसान का चित्र मिटता जा रहा है। इस संकट को उपन्यासकार पंकज सुबीर ‘अकाल में उत्सव’उपन्यास में बताते हैं कि “जिस तेजी से किसान खेती छोड़ रहा है, जमीन बेच रहा है, कुछ दिनो बाद सभी मल्टीनेशनल कंपनियाँ ही खेती करेंगी। तब कोई न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं होगा। कंपनियाँ जो चाहेगी वहीँ समर्थन मूल्य रहेगा।” यह देश के लिए एक भयावह स्थिति होगी। समय रहते इस पर विचार विमर्श करना बहुत जरुरी है। आज कोई भी युवा किसान बनना नहीं चाहता है। खेती के सिवा बह कोई भी काम करने के लिए तैयार है। क्यूंकि दुसरे काम में आत्महत्या या मृत्यु का भय तो नहीं रहेगा। आज भी देश की बहुसंख्यक आवादी किसानों की है। अगर इनका विकास नहीं हुआ तो देश कभी भी विकास नहीं कर सकता। विश्व में लगभग 200 देश है। किसी भी देश में किसान इतने परिमाण में आत्महत्या नहीं करते हैं। अगर ऐसे हीं चलता रहा तो भारत का विश्व गुरु बनने का सपना बस सपना बनकर हीं रह जाएगा।

Authors and Affiliations

सुभ्रांसिस बारिक
प्रवक्ता, हिन्दी विभाग, खैरियर (स्वायत्त) कालेज, नौपाड़ा, ओडिसा, भारतम्।

भारत‚ उपन्यास‚ किसान‚ अभिव्यक्त‚ हिन्दी‚ खेती।

  1. वीरेंद्र यादव, प्रगतिशीलता के पक्ष में, साहित्य भंडार प्रकाशन, 2014, पृ-6
  2. राजु शर्मा, हलफनामें, राधाकृष्ण पेपरबैक्स, संस्करण-2007, पृ-22
  3. वही, पृ-248
  4. सत्यप्रकाश मिश्र, प्रेमचंद के श्रेष्ठ निबंध, लोकभारती पेपरबैक्स, तीसरा संस्करण-2013, पृ-130
  5. संजीव, फाँस, वाणी प्रकाशन, संस्करण-2015, पृ-15
  6. वही, पृ-42
  7. वही, पृ-56
  8. रामविलास शर्मा, प्रेमचंद और उनका युग, राजकमल प्रकाशन, संस्करण-2006, पृ-116
  9. संजीव, फाँस, वाणी प्रकाशन, संस्करण-2015, पृ-190
  10. वही, पृ-72
  11. पंकज सुबीर, अकाल में उत्सव, शिवना पेपरबैक्स, संस्करण-2017, पृ-42
  12. वही, पृ-43
  13. वही, पृ-171

Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 6 | November-December 2020
Date of Publication : 2020-12-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 97-102
Manuscript Number : SHISRRJ203635
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

सुभ्रांसिस बारिक , "21वीं सदी के हिंदी उपन्यासों में अभिव्यक्त किसान जीवन की त्रासदी", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 3, Issue 6, pp.97-102, November-December.2020
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ203635

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