दिल्ली सल्तनत के अधीन ललित कलाओं का विकास (13वीं-14वीं शताब्दी)

Authors(1) :-अंकुर वर्मा

प्रमुख कलाओं के अलावा भी निश्चित रूप से अन्य ललित कलाओं का अस्तित्व भी अवश्य रहा होगा, किंतु दुर्भाग्यवश हमारे पास इस विषय से सम्बंधित प्रामाणिक साक्ष्यों की इस कालखंड में काफी कमी है। 13वीं-14वीं शताब्दी का समय व्यापार-वाणिज्य की दृष्टि से प्रगतिशील माना जाता है। प्रो.मोहम्मद हबीब इस काल को नगरीय क्रांति की अवधारणा से संबद्ध करते हैं। सामाजिक बंधनों और जड़ता में इस काल में निश्चित रूप से ढीलापन आया। जब भी समाज में रूढ़िवादिता और संकीर्णता के बंधन कमजोर पड़ते हैं तो कलाओं के विकास के बेहतर अवसर उत्पन्न होते हैं। व्यापार-वाणिज्य और आर्थिक प्रगति के चलते वैदेशिक संपर्कों की स्थापना भी हुई। ऐसे में बाहरी कलाओं और संस्कृतियों से भी संपर्क अवश्य स्थापित हुआ होगा, जिसका प्रभाव यहां के कलात्मक माहौल पर स्वाभाविक रूप से पड़ा होगा। साथ ही कृषि में अधिशेष के चलते शिल्प आदि के विकास के लिए भी परिस्थितियां बनी होंगी। साक्ष्यों के अभाव में यह मान लेना कि जिन सुल्तानों के समय स्थापत्य और संगीत और चित्रकला की प्रगति होती रही, उन्होंने अन्य कलाओं को प्रोत्साहन नहीं दिया होगा, तर्कसंगत नहीं प्रतीत होता है। भारत में कुटीर व्यवसायों की परंपरा संपूर्ण मध्यकाल में रही है। इनमें से कई व्यवसाय शिल्प और कलाओं से संबंधित थे (जैसे-कपड़ों की रंगाई, कढ़ाई, खिलौना निर्माण,मूर्ति निर्माण इत्यादि)। इनका विकास स्वतंत्र रूप से स्थानीय स्तर पर होता रहा। साथ ही, प्रांतीय केंद्रों और हिंदू राजाओं के यहां भी कलाओं को आश्रय मिला। ऐसे में दिल्ली सल्तनत निश्चित रूप से इनसे अछूती नहीं रही होगी।

Authors and Affiliations

अंकुर वर्मा
शोध छात्र, मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय इलाहाबाद‚ प्रयागराज‚ उत्तर प्रदेश‚ भारत।

दिल्ली, सल्तनत, ललित, कला, व्यापार-वाणिज्य, सामाजिक, रूढ़िवादिता, संकीर्णता।

  1. मध्यकालीन प्रशासन, समाज एवं संस्कृति, प्रो.राधेश्याम
  2. आर्किटेक्चर इन मेडिवल इंडिया, मोनिका जुनेजा
  3. मध्यकालीन भारतीय कलाएं और उनका विकास, डॉ. रामनाथ
  4. मध्यकालीन भारत(750-1540ई.), हरिश्चंद्र वर्मा, भाग-I
  5. द हिस्ट्री ऑफ इंडिया ऐज टोल्ड बाय इट्स ओन हिस्टोरियंस: द मोहम्मडन पीरियड, इलियट&डाउसन, भाग-I
  6. ए शॉर्ट हिस्टॉरिकल सर्वे ऑफ म्यूजिक ऑफ अपर इंडिया, वी.एन. भातखण्डे
  7. द गजेटियर ऑफ इंडियन यूनियन, भाग-II, हिस्ट्री एंड कल्चर, संपा.-पी.एन. चोपड़ा
  8. ए सोशल,कल्चरल एंड इकोनॉमिक हिस्ट्री ऑफ इंडिया, भाग-II
  9. इस्लामिक कल्चर-प्रमोशन ऑफ म्यूजिक बाय टर्को अफगान रूलर्स ऑफ इंडिया, भाग-XXIV
  10. द हिस्ट्री ऑफ खल्जीज, के.एस. लाल
  11. लीव्ज फ्रॉम इंडियन कल्चर, सर अब्दुल क़ादिर
  12. मुंतख़ब उत तवारीख, अब्दुल कादिर बदायूँनी, भाग-I

Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 5 | September-October 2020
Date of Publication : 2020-10-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 102-108
Manuscript Number : SHISRRJ20367
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

अंकुर वर्मा, "दिल्ली सल्तनत के अधीन ललित कलाओं का विकास (13वीं-14वीं शताब्दी) ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 3, Issue 5, pp.102-108, September-October.2020
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ20367

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