Manuscript Number : SHISRRJ20369
जीते-मरते गांधी : वर्तमान परिप्रेक्ष्य में गांधीवाद पर विचार
Authors(1) :-गौरव अपने समय-काल में किसी व्यक्ति के प्रासंगिक विचारों की, किसी अन्य समय-काल में प्रासंगिकता दो पूर्णतः भिन्न बातों पर निर्भर करती है। पहला, समय-काल की सादृश्यता एवं दूसरा विचारों की व्यपकता, जो सभी समय-कालों में उपयुक्त हो। वर्तमान भारत एवं विश्व के परिप्रेक्ष्य में गांधी के विचार दोनों ही आधारों पर प्रासंगिक दिखते हैं। गांधी के समकाल की बहुत सी परिस्थितियाँ आज भी विद्यमान है। यथा अश्पृश्यता, अशिक्षा, पूंजीवादी शोषण, साम्प्रदायिकता, वर्चस्ववादी समाज मे विभिन्न तबकों का दमन आदि। इनके ख़िलाफ़ संघर्ष में आज भी गांधी के विचार एवं संघर्ष प्रभावी हैं। विभिन्न समाज सुधारक, पर्यावरणवादी इन मार्गों के माध्यम से अपने संघर्ष में सफल हुए हैं। दूसरा, बदलती परिस्थितियों में भी गांधी के विचार समान रूप से उपयोगी हैं। राज्य-व्यक्ति सम्बन्ध, मानव अधिकार, संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान, मानवता, धार्मिक-सांस्कतिक सहिष्णुता जैसे गांधी के विचार प्रत्येक समय-काल मे उपयोगी रहेंगे। क्योकि ये मूल्य ही मानव सभ्यता व मानव सह-सम्बन्ध के आधार है, जिनपर मानवजाति का अस्तित्व निर्भर है।
गौरव जीते-मरते‚ गांधी‚ वर्तमान‚ गांधीवाद‚ भारत‚ अश्पृश्यता, अशिक्षा, पूंजीवादी, साम्प्रदायिकता। Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 5 | September-October 2020 Article Preview
शोध छात्र‚ मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग‚ इलाहाबाद विश्वविद्यालय इलाहाबाद‚ प्रयागराज‚ उत्तर प्रदेश‚भारत।
Date of Publication : 2020-10-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 116-121
Manuscript Number : SHISRRJ20369
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ20369