हिन्दू विधि (लाॅ) के प्राचीन स्रोत के रूप में श्रुतियों और स्मृतियों का महत्त्व

Authors(1) :-डाॅ. सर्वेश कुमार

हिन्दू विधि एक-दो सदी में विकसित होने वाली विधि नहीं है। बल्कि यह काल के प्रवाह के साथ वैदिक युग से निरन्तर चली आ रही प्रक्रिया है। समाज में होने वाले बदलाव और सामाजिक आवश्यकतानुरूप इसमें अनेकानेक परिवर्तन होते रहे हैं। वर्तमान हिन्दू विधि के संहिताबद्ध हो जाने पर भी कुछ विषयों (जो आज भी असंहिताबद्ध हैं) के सन्दर्भ में आज भी स्मृतियाँ और टीकायें प्रामाणिक बनी हुयी हैं।

Authors and Affiliations

डाॅ. सर्वेश कुमार
असिस्टेंट प्रोफेसर, संस्कृत विभाग, के. एन. आई. पी. एस. एस., सुलतानपुर, उत्तर प्रदेश, भारत।

हिन्दू विधि, श्रुति, स्मृति, प्रथा, सामाजिक, वेद।

  1. गौ. धर्म. 1/1/1-2
  2. कर्षकवणिक्पशुपालकुसीदिकारवः स्वे स्वे वर्गे। गौ. धर्म. 2/2/21
  3. बौ. धर्म. 1/1/1/1-4, 1/1/2/6
  4. वशि. धर्म. 1/4-5
  5. मनु. 2/12
  6. श्रुतिः स्मृतिः सदाचारः स्वस्व च प्रियमात्मनः।
  7. सम्यक् संकल्पः कामो धर्ममूलमिदं स्मृतम्।। याज्ञ. 1/7
  8. आधुनिक हिन्दू विधि, पारस दीवान, पृ. 11
  9. ऋ. 8/40/1
  10. विरोधेत्वनपेक्षं स्यादसति ह्यनुमानम्। जैमिनीय सूत्र 1/3/3
  11. ए.आई.आर. 1915 पी.सी. 70
  12. हरप्रसाद बनाम शिवदयाल (1876)3 आई.ए. 259
  13. जितेन्द्र मोहन टैगोर बनाम ज्ञानेन्द्र मोहन टैगोर, ए.आई.आर. (1928), लाहौर 902
  14. गौ. धर्म. 2/28/48
  15. बृह. धर्म. 2/12
  16. गुरुनाथ बनाम कमलाबाई (1951)। सु.को. रिपोटर््स 1135

Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 5 | September-October 2020
Date of Publication : 2020-10-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 145-150
Manuscript Number : SHISRRJ20374
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डाॅ. सर्वेश कुमार, "हिन्दू विधि (लाॅ) के प्राचीन स्रोत के रूप में श्रुतियों और स्मृतियों का महत्त्व", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 3, Issue 5, pp.145-150, September-October.2020
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ20374

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