शैक्षिक गुणवत्ता और शिक्षकीय कौशल

Authors(1) :-डाॅ. विनय कुमार

शिक्षक का व्यवसायिक प्रशिक्षण कितना अहम हैं, इस ओर दवे ‘शिक्षा में नवचिंतन’ में जिक्र करते हैं कि टीचर प्रतिदिन अपने को नया करने तथा नए अंदाज में प्रस्तुत करने की मांग करता है। इसलिए एक टीचर को टीचिंग के लिए सदैव नवीनता की खोज करते रहना होगा। नवीनता के लिए जरूरी है कल्पना, कौतुक, जिज्ञासा और आनंद्दायी भावना। इसका अर्थ यह हुआ कि शिक्षण एक आनंद्दायी काम है। इस आनंद का प्रतिदिन अन्वेषण करते रहना ही एक शिक्षक का कर्म और धर्म है।

Authors and Affiliations

डाॅ. विनय कुमार
प्राचार्य, त्रिवेणी काॅलेज आॅफ एजुकेशन, नवादा, बिहार, भारत।

शैक्षिक, गुणवत्ता, शिक्षकीय, कौशल, व्यवसायिक, कर्म, धर्म।

  1. नाईक, जे0पी0, शिक्षा आयोग
  2. नाई, जे0पी0, शिक्षा आयोग
  3. शर्मा, प्रेमपाल, शिक्षा, कुशिक्षा
  4. कुमार, कृष्ण, गुलामी की शिक्षा और राष्ट्रवाद
  5. डी पी पाट्टनायक, शिक्षा संदर्भ और भाषा
  6. दवे, रमेश, शिक्षा में नवचिंतन

Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 5 | September-October 2020
Date of Publication : 2020-10-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 151-155
Manuscript Number : SHISRRJ20375
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डाॅ. विनय कुमार, "शैक्षिक गुणवत्ता और शिक्षकीय कौशल", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 3, Issue 5, pp.151-155, September-October.2020
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ20375

Article Preview