Manuscript Number : SHISRRJ203913
रामायण के आलोक में हनुमच्चरित् की प्रासंगिकता
Authors(2) :-धर्मेन्द्र कुमार, डाॅ. देवनारायण पाठक
आधुनिक मनोविज्ञान के जनक विलियम जोन्स ने लिखा है कि ‘‘मनुष्य जैसा सोचता है, वैसा ही बन जाता है। अतः यदि हनुमान् जी का स्मरण, चिंतन, दर्शन तथा आराधन किया जाये तो निश्चय ही उनके आधिदैविक तथा आध्यात्मिक गुणों का प्रभाव पड़ेगा। हमें ऐसी विभूतियों का अनुकरण करना होगा जो हमारा आध्यात्मिक उद्बोधन कर सकें। श्री हनुमान् ऐसे ही अनूठे और आध्यात्मिक व्यक्तित्व के देवता हैं। श्री हनुमान् का चिंतन और स्मरण तथा उनके व्यक्तित्व का अनुकरण करने से हमें चरित्र, नैतिकता, निःस्वार्थ-सेवा, निष्काम-कर्म, अथक परिश्रम, अहंकार से मुक्ति, आध्यात्मिक अनुभूति की प्रेरणा मिलेगी तथा हम संकीर्ण भावों से ऊपर उठेंगे। टकराव और संघर्ष का परित्याग करके शांति, सद्भाव एवं मैत्री भाव से जीना प्रारम्भ कर सकेंगे।
धर्मेन्द्र कुमार रामायण, हनुमच्चरित्,दर्शन,आध्यात्मिक, महाभारत,मानव। Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 3 | May-June 2019 Article Preview
शोधच्छात्र, संस्कृत विभाग, नेहरू ग्राम भारती मानित विश्वविद्यालय, प्रयागराज।
डाॅ. देवनारायण पाठक
संस्कृत-विभागाध्यक्ष, नेहरू ग्राम भारती मानित,
विश्वविद्यालय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश।
Date of Publication : 2019-05-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 193-196
Manuscript Number : SHISRRJ203913
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ203913