Manuscript Number : SHISRRJ203915
किरातार्जुनीयम् पर उपजीव्य ग्रन्थों का प्रभाव
Authors(1) :-दिनेश प्रताप मौर्य रामायण, महाभारत तथा पुराण-साहित्य समस्त लौकिक-संस्कृत वाड्.मय के उपजीव्य ग्रन्थ हैं। इन ग्रन्थों से ही कथा-भावों को ग्रहण करके उत्तरवर्ती कवियों- महाकवियों ने अपनी यशःकाय स्वरूप कृतियों का सर्जन किया है। 6वीं शती ई0 के पुरोधा महाकवियों में अग्रगण्य तथा बृहत्त्रयी के प्रथम कवि भारवि ने भी इस परम्परा का अनुकरण करते हुए महाभारत तथा शिवमहापुराण के प्रसंगों एवं उपख्यानों को आधार बनाकर अष्टादशसर्गोपेत एक प्रशस्त महाकाव्य की सर्जना की। भारवि की कृति पर उसके उपजीव्य ग्रन्थों के प्रभाव का उद्घाटन ही प्रस्तुत शोध-पत्र का विवेच्य है।
दिनेश प्रताप मौर्य भारवि, किरातार्जुनीयम्, महाभारत, शिवपुराण, नामकरण, कथानक, भाव-साम्य, भाषाशैली। Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 3 | May-June 2019 Article Preview
शोधच्छात्र, संस्कृत विभाग, नेहरू ग्राम भारती मानित वि0वि0, प्रयागराज,उत्तर प्रदेश।
Date of Publication : 2019-05-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 197-200
Manuscript Number : SHISRRJ203915
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ203915