Manuscript Number : SHISRRJ20396
शिशुपालवध महाकाव्य में अव्यय-विचार
Authors(1) :-डॉ. गयाप्रसाद मिश्र
संस्कृत महाकाव्यकारों में सुप्रतिष्ठित महाकवि माघ न केवल काव्यपरक विशेषताओं से परिपूर्ण रचना करने में समर्थ थे, जिसके कारण "उपमा कालिदासस्य भारवेरर्थगौरवम्। दण्डिनः पदलालित्यं माघे सन्ति त्रयो गुणाः।।", "मेघे माघे गतं वयः" और "काव्येषु माघ:" जैसी प्रशस्तिपरक सूक्तियाँ प्रसिद्ध हुईं, बल्कि व्याकरणशास्त्रीय नवीन शब्दों की रचना करके उनका सफलतापूर्वक काव्य में प्रयोग करने की कला में भी वह सिद्धहस्त थे, जिसके कारण उनके शिशुपालवध महाकाव्य के लिए "नवसर्गगते माघे नवशब्दो न विद्यते" जैसी सूक्तियाँ प्रचलित हुईं और साहित्यसमालोचकों द्वारा उन्हें 'महावैय्याकरण' की महनीय उपाधि से भी विभूषित किया गया। शिशुपालवध महाकाव्य में एक से बढ़कर एक व्याकरणिक प्रयोग संस्कृत भाषा की समृद्धि का परिचायक है।
डॉ. गयाप्रसाद मिश्र
महाकवि माघ, शिशुपालवध, महाकाव्य, संस्कृत, अव्यय| Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 3 | May-June 2019 Article Preview
सहायक अध्यापक, मथुरिया इण्टर कॉलेज, डिबाई, बुलन्दशहर।
Date of Publication : 2019-05-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 133-136
Manuscript Number : SHISRRJ20396
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ20396