पं. दीनदयाल उपाध्याय एकात्मक मानववाद के द्रष्टा और भारतीय जनसंघ के महामंत्री एवं अध्यक्ष का चिन्तन विमर्श

Authors(1) :-डॉ. जगदीश प्रसाद जाटः

दीनदयाल उपाध्याय 20वीं सदी के उत्तरार्द्ध के महापुरूष हैं, जब विश्व में अनेक विचार परम्पराएं बहुत प्रखरता से प्रचलित थीं। सोलहवीं शताब्दी के यूरोपीय पुनर्जागरण के बाद की चार शताब्दियों में विचारों ने एक वैश्विक आयाम ग्रहण कर लिया था। अब दृश्यमान विश्व कोई अबूझ पहेली नहीं रह गया था। साहसिक विश्वयात्रियों ने भू–पटल की परिक्रमा कर डाली थी। विज्ञानवाद, भौतिकतावाद एवं मानववाद ने ईश्वर की रहस्यमय सत्ता को एक चुनौती दे दी थी। रहस्यात्मकता पर विज्ञान ने चोट की, श्रद्धामूलक आस्थाओं को तर्क ने हिला दिया तथा अब भगवत्कृपा के स्थान पर विवेक का भरोसा हो चला था। "थियोक्रेसी' को चुनौती देते हुए सैक्युलरिज्म, लोकतंत्रात्मक व्यक्तिवाद व समाजवाद की धारणाएं प्रबल हो गई थीं। यूरोप का कायापलट हो गया था।

Authors and Affiliations

डॉ. जगदीश प्रसाद जाटः
एसोसिएट प्रोफेसर, स्वः लक्ष्मी कुमारी बधाला गर्ल्स पी.जी. कॉलेज गोविन्दगढ़, चौमूँ (जयपुरम्)

  1. उ.प्र. संदेश सितम्बर 1991 पृष्ठ संख्या 40-65
  2. भारत के वैभव का दीनदयाल मार्ग ह्य.ना.दी पृष्ठ संख्या 28-29
  3. पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजनीतिक चिंतन पृष्ठ संख्या 29
  4. पंडित दीनदयाल उपाध्याय व्यक्त्ति दर्शन पृष्ठ संख्या 58
  5. पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजनैतिक चिन्तन पृष्ठ संख्या 38
  6. विजयवाड़ा अधिवेशन में दिया भाषण 1965
  7. जनसंघ विशेषक आर्गनाइजर 1956
  8. महेश चन्द शर्मा, दीनदयाल उपाध्यायः कर्तव्य एवं विचार, प्रभात पब्लिकेषन, नई दिल्ली, 1994, पृष्ठ 250-258
  9. दीनदयाल उपाध्याय, एकात्म मानववाद, प्रभात पब्लिकेशन, 2016, पृष्ठ 80-82
  10. शरत अनन्त कुलकर्णी, एकात्म अर्थनीति, सुरूचि प्रकाशन, केशव कुंज, झण्डेवाला, नई दिल्ली, 2014, पृष्ठ 10-15

Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 3 | May-June 2019
Date of Publication : 2019-05-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 158-162
Manuscript Number : SHISRRJ20398
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डॉ. जगदीश प्रसाद जाटः, "पं. दीनदयाल उपाध्याय एकात्मक मानववाद के द्रष्टा और भारतीय जनसंघ के महामंत्री एवं अध्यक्ष का चिन्तन विमर्श ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 2, Issue 3, pp.158-162, May-June.2019
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ20398

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