ब्रह्मवैवर्तपुराण में राधा तत्त्व एक अनुशीलन

Authors(1) :-डाॅ0 प्रभात कुमार

पुराण का प्रधान लक्ष्य कृष्णचरित्र का विस्तृत वर्णन है। सृष्टि के अवसर पर परब्रह्म परमात्मा भगवान् श्रीकृष्ण स्वयं दो रूपों में प्रकट हो गये-प्रकृति और पुरूष। उनका दाहिना अंश पुरूष और बायाँ अंश प्रकृति हुआ। वही मूल प्रकृति श्रीराधा हुयी। ये ब्रह्मस्वरूपा नित्या और सनातनी है।

Authors and Affiliations

डाॅ0 प्रभात कुमार
असिस्टेंट प्रोफेसर, संस्कृत विभाग, नेहरू ग्राम भारती डीम्ड विश्वविद्यालय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, भारत।

ब्रह्मवैवर्तपुराण, राधातत्त्व, संस्कृत,साहित्य, पुराण, संस्कृति।

  1. ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्मखण्ड 2
  2. ब्रह्मवैवर्त पुराण, कृ0ज0 खण्ड 111/57-58
  3. वही, 16/226
  4. ब्रह्मवैवर्त पुराण, कृ०ज0 खण्ड 52/39
  5. वही, 13/77-79
  6. वही, 3/103--105
  7. ब्रह्मवैवर्त पुराण, कृ0 ज0 खण्ड 55-87
  8. वही, 17
  9. वही
  10. वही, 48/38-47
  11. वही, 48/48
  12. ब्रह्मवैवर्त पुराण, प्रकृतिखण्ड अध्याय, 1/25
  13. ब्रह्मखण्ड 17/17

Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 2 | March-April 2021
Date of Publication : 2021-04-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 146-150
Manuscript Number : SHISRRJ2142210
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डाॅ0 प्रभात कुमार, "ब्रह्मवैवर्तपुराण में राधा तत्त्व एक अनुशीलन ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 4, Issue 2, pp.146-150, March-April.2021
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ2142210

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