Manuscript Number : SHISRRJ2142213
संस्कृत कविता की दूसरी परम्परा और अवध की हिन्दी चेतना का मेल
Authors(1) :-डॉ. अनुराग मिश्र संस्कृत की दूसरी परम्परा की चर्चा डाॅ. राधावल्लभ त्रिपाठी, डाॅ. राममूर्ति त्रिपाठी व डाॅ¬. नामवर सिंह प्रभृति विद्वानों ने की है। संस्कृत कवि-विचारक डाॅ. राजदेव मिश्र संस्कृत कविता की दूसरी परम्परा को आगे बढ़ाने वाले महत्वपूर्ण कवि हैं। अवध क्षेत्र में रहकर अर्जित किये गये वैचारिक संस्कारों से अपनी कविता को संवेदना के धरातल पर वह एक नया स्वर प्रदान करते हैं। अपनी कविताओं में कई बार वह समकालीन हिन्दी कविता की वैचारिकी के साथ खड़े होते हुए दिखाई देते हैं तो कई बार उसे आगे भी ले जाते हैं। अवध की जातीय चेतना का रंग उनकी कविताओं में खुलकर व्यक्त होता है।
डॉ. अनुराग मिश्र जातीय चेतना, आधुनिकता, हिंसा, स्वाधीनता, माक्र्सवाद, राष्ट्रीयता, व्यक्तिवाद और महाप्राणत्व। Publication Details Published in : Volume 4 | Issue 2 | March-April 2021 Article Preview
एसोसिएट प्रोफेसर, हिन्दी-विभाग, का.सु.साकेत स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अयोध्या, उत्तर प्रदेश,भारत।
Date of Publication : 2021-04-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 163-168
Manuscript Number : SHISRRJ2142213
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ2142213