भगवान् शंकराचार्य आविर्भूयात् पुनर्भुवि-एक नव प्रणयन

Authors(1) :-सत्येन्द्रनाथ शुक्ल

अवतरणिका एवं प्रणामाञ्जलि से संवलित इस महाकाव्य में आदि शङ्कराचार्य के दिव्य चरित्र का पवित्र गान है। जो अपनी परम्परा को जहाँ एक ओर समृद्ध करती है, वही दूसरी ओर अन्य परवर्ती कवियांे के लिए आदर्श प्रस्तुत करती है। रस संयोजन, अलङ्कार विन्यास, वर्णन वैभव, छन्दोविधान, कथानक एवं पात्रों के सफल चरित्र चित्रण महाकाव्य के काव्यशास्त्रीय ऐश्वर्य को द्योतित करते हैं।

Authors and Affiliations

सत्येन्द्रनाथ शुक्ल
पूर्वशोधछात्र, संस्कृतविभाग, कला संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत।

आदि शङ्कराचार्य, अवतरणिका, प्रणामाञ्जलि, महाकाव्य, काव्यशास्त्रीय।

  1. भगवान् शंकराचार्य आविर्भूयात् पुनर्भुवि/लेखिका डाॅ. कमला पाण्डेया/प्रकाशक- विद्याश्रीधर्मार्थन्यास, वाराणसी/2007
  2. रक्षत गङ्गाम्/लेखिका डाॅ. कमला पाण्डेया/प्रकाशक- विद्याश्रीधर्मार्थन्यास, वाराणसी
  3. नया ज्ञान¨दय/अक्टूबर 2013/प्रकाशक-भारतीय ज्ञानपीठ
  4. आदिशङ्कराचार्य जीवन और सन्देश/प्रकाशक-सूचना एवं प्रसारण मन्त्रालय भारत सरकार/जून 1991
  5. वेदान्तसार/सदानन्दयति/व्याख्याकार- रमाशङ्कर त्रिपाठी/चैखम्बा पब्लिशर्स वाराणसी

Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 2 | March-April 2021
Date of Publication : 2021-04-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 135-141
Manuscript Number : SHISRRJ214226
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

सत्येन्द्रनाथ शुक्ल, "भगवान् शंकराचार्य आविर्भूयात् पुनर्भुवि-एक नव प्रणयन", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 4, Issue 2, pp.135-141, March-April.2021
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ214226

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