Manuscript Number : SHISRRJ214226
भगवान् शंकराचार्य आविर्भूयात् पुनर्भुवि-एक नव प्रणयन
Authors(1) :-सत्येन्द्रनाथ शुक्ल अवतरणिका एवं प्रणामाञ्जलि से संवलित इस महाकाव्य में आदि शङ्कराचार्य के दिव्य चरित्र का पवित्र गान है। जो अपनी परम्परा को जहाँ एक ओर समृद्ध करती है, वही दूसरी ओर अन्य परवर्ती कवियांे के लिए आदर्श प्रस्तुत करती है। रस संयोजन, अलङ्कार विन्यास, वर्णन वैभव, छन्दोविधान, कथानक एवं पात्रों के सफल चरित्र चित्रण महाकाव्य के काव्यशास्त्रीय ऐश्वर्य को द्योतित करते हैं।
सत्येन्द्रनाथ शुक्ल आदि शङ्कराचार्य, अवतरणिका, प्रणामाञ्जलि, महाकाव्य, काव्यशास्त्रीय। Publication Details Published in : Volume 4 | Issue 2 | March-April 2021 Article Preview
पूर्वशोधछात्र, संस्कृतविभाग, कला संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत।
Date of Publication : 2021-04-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 135-141
Manuscript Number : SHISRRJ214226
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ214226