मन्दाधिगन्तॄणाम् अधिगमविकासे योगप्रभाव:

Authors(1) :-Ganta Naga swathi

छात्रा: स्थूलतया त्रिधेति मनोवैज्ञानिकानां अभिमतं वर्तते, यथा प्रतिभाशालिन:, समान्या, मन्दाधिगन्तारश्चेति परन्तु सामान्येन सर्वेषां अध्यापकानाम्, अभिभावकानां च दृष्टि: प्रतिभाशालिनां, सामन्यच्छात्राणां विकासे एव भवति न तु मन्दाधिगन्तॄणां च्छात्राणां विकासे। अपि च मन्दाधिगन्तार: च्छात्रा: जन्मत: न जायन्ते, ते परिस्थ्यनुसारं, शारीरकमानसिकसांवेगिकानाम् असन्तुलनेन वा जायन्ते। सन्दर्भेस्मिन् मन्दाधिगन्तार: च्छात्रा: इतोऽपि मन्दाधिगन्तार: संजायन्ते। अत: मन्दाधिगन्तॄण् च्छात्रान्पि प्रभावपूर्णमधिगमयितुं, तेषु छात्रेषु मानिकसशारीसकसांवेगिकविकासम् आनेतुं बहवो उपाया: सत्स्वपि योगस्य प्रभाव: मनोवैज्ञानिकीति मे मति: ।

Authors and Affiliations

Ganta Naga swathi
Ph.D Scholar in Education, National Sanskrit University, Tirupathi, Andhra Pradesh, India

छात्रः‚ अधिगमः‚ विकासः‚ योगः‚व्यवहारः‚ जीविनः‚ परमार्थतः‚ विकारः‚ धातोः।

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Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 5 | September-October 2021
Date of Publication : 2021-09-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 01-09
Manuscript Number : SHISRRJ214227
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

Ganta Naga swathi, "मन्दाधिगन्तॄणाम् अधिगमविकासे योगप्रभाव:", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 4, Issue 5, pp.01-09, September-October.2021
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ214227

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