Manuscript Number : SHISRRJ21423
नरेन्द्र मोदी कार्यकाल में भारत की गतिशील विदेश नीति
Authors(2) :-राजेश कुमार, डाॅ0 सीमा देवी विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत विश्व में सुदृढ़ एवं सशक्त विदेश नीति के लिये जाना जाता है, साथ ही राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुकूल अपना सामंजस्य स्थपित करने में भी भारतीय विदेश नीति सदैव सफल रही है। 1947 से अब तक भारत को विदेश नीति के क्षेत्र में कई मुकाम हासिल हुए है, और अनेकानेक चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा है।
मई, 2014 में जब नरेन्द्र मोदी ने सत्ता संभाली तो राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय विदेश नीति के क्षेत्र में कुछ नया व खास करने की अपेक्षाऐं पाली जाने लगी थी क्योंकि नरेन्द्र मोदी भी यर्थाथवादी सोच से सम्पन्न व्यक्ति है तथा राष्ट्रीय हितों की प्राप्ति सर्वोच्च स्तर पर रखने वाले है। नरेन्द्र मोदी ने भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प अपने शासन संभालने के समय ही ले लिया था और आज भी उस पर निरन्तर प्रगति करते हुए चल रहे है।
प्रधान मंत्री के रूप में मोदी खुद एक राजनयिक सफलता थे और सभी आठ पड़ोसी सार्क देशों के प्रमुख और मारीशस के साथ इस समारोह में उपस्थित थे। नरेन्द्र मोदी की पड़ोसी पहले नीति ने भारत के सापेक्ष पड़ोसियों के दृष्टिकोण को बदल दिया है। शपथग्रहण समारोह में मोदी के निमंत्रण के लिए एक संकेत के रूप में पाकिस्तान और श्रीलंका ने सैकड़ों भारतीय मछुआरों को छोड़ दिया, जिन्हें लंबे समय से कैद किया गया था। अपनी पहली विदेश नीति में नेपाल और भूटान को अपनी यात्रा का प्रथम गन्तव्य बनाने के मोदी के फैसले का अनुपालन किया जाना चाहिए क्योंकि दोनों देशों के पास पनबिजली बनाने की व्यापक क्षमता है। मोदी 3 अगस्त 2014 को काठमांडू गए थे, 17 साल में मोदी भारत के पहने प्रधान मंत्री थे, जहां उनका हवाई अड्डे पर प्रोटोकाल के खिलाफ खुद नेपाली प्रधान मंत्री द्वारा स्वागत किया गया था।
भारतीय विदेश नीति नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सफलताओं के चरम पर पहुंच रही है। भारत विकसित राष्ट्रों की कगार पर पहुंचने को तैयार है। विश्व का छोटे से छोटा और बडे से बड़ा राष्ट्र आज भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों की स्थापना करने को आतुर है। एशिया की सुपर पावर तो भारत है ही, वह विश्व की महाशक्तियों के समकक्ष आता जा रहा है। अमेरिका जैसी महाशक्ति आज भारत के साथ अच्छे संबंध रखने को आतुर है, तृतीय विश्व भारत के नेतृत्व को स्वीकार कर रहा है, इसके साथ ही 21 वीं सदी एशिया की होगी इसे भी सार्थक कर दिया है।
राजेश कुमार अन्तर्राष्ट्रीय, सामंजस्य, यर्थाथवादी, दृष्टिकोण, शपथग्रहण, पनबिजली, प्रोटोकाल, महाशक्ति। Publication Details Published in : Volume 4 | Issue 1 | January-February 2021 Article Preview
पी०एच०डी०, शोधार्थी
राजनीति विज्ञान विभाग, कु० मायावती राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बादलपुर, गौतमबुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश। चै० चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ, उत्तर प्रदेश।
डाॅ0 सीमा देवी
राजनीति विज्ञान विभाग, कु० मायावती राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बादलपुर, गौतमबुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश। चै० चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ, उत्तर प्रदेश।
Date of Publication : 2021-02-28
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 85-93
Manuscript Number : SHISRRJ21423
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ21423