वृत्ति एवं उसका रसानुकूल प्रयोग

Authors(1) :-मीनू कुमारी

नाट्यवृत्ति में वर्णित विषयों में महत्त्वपूर्ण विषय वृत्ति है नाट्यशास्त्र में वृत्ति शब्द ’व्यापार’ अर्थ में गृहीत है भरत के अनुसार नायकादि के कायिक वाचिक और मानसिक व्यापार ’वृत्ति’ है वृत्ति के द्वारा ही नाटय में रसोदय होता है।

Authors and Affiliations

मीनू कुमारी
शोध छात्रा, संस्कृत विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश।

  1. नाट्यशास्त्र - भरतमुनि, गायकवाड़ आॅरियन्टल सीरीज, बड़ौदा।
  2. दशरूपकम् - दहाललोकमणि चैखम्बा अमरभारती प्रकाशन वाराणसी
  3. ध्वन्यालोक - आनन्दवर्धन व्याख्याकार आचार्य विश्वेश्वर
  4. भरत और भारतीय नाट्यकला - सुरेन्द्रनाथ दीक्षित

Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 5 | September-October 2021
Date of Publication : 2021-09-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 60-62
Manuscript Number : SHISRRJ214237
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

मीनू कुमारी, "वृत्ति एवं उसका रसानुकूल प्रयोग ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 4, Issue 5, pp.60-62, September-October.2021
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ214237

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