दृश्यमान सांगीतिक बोधाभिव्यंजना

Authors(2) :-धर्मेन्द्र कुमार, ए. के. जैतली

कतिपय धारणाएं ऐसी हैं जिन्होंने भारतीय कला रूपों और शैलियों पर गहरा प्रभाव डाला है। मिथकों, उपाख्यानों, धार्मिक कर्मकाण्डों और अनुष्ठानों में अनेक रचनात्मक कलाओं, विचारों तथा अवधारणाओं को अपने अनुरूप ढाला है। लघु-चित्रण परम्परा में रूपगत प्रश्नों के बहुत रोचक होते हुए भी उनका कोई सांगीतिक, सैद्धान्तिक आधार स्पष्ट नहीं है। निःसन्देह प्रकृति एवं मनुष्य के अन्तर्सम्बन्धों का विषद् वर्णन जो हमें मध्यकालीन साहित्य एवं काव्यों में प्राप्त होता है, उसकी अनुभूतिपरक प्रस्तुति लघु-चित्रण में हम देख सकते हैं। नायक-नायिका भेद वर्णन, बारहमासा एवं रागमाला चित्रण हमें एक सांगीतिक अनुभव कराती है जिसमें प्रकृति एवं मनुष्य के स्वभावगत रहस्यात्मक अनुभव रूपायति हुए हैं। प्रस्तुत शोध पत्र, रागमाला के दृश्यमान सांगीतिक अनुभव, जिसमें लघु-चित्रण निरूपण कला-चेतना, स्थितियां, सांगीतिक, सैद्धान्तिक आधार तथा प्रक्रिया आदि का अनुशीलन इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए किया गया है, कि क्या कला, सिद्धान्त एवं विधियों से युक्त रागमाला चित्रों का लयात्मक स्पन्दन, शब्दों के बोध, रहस्यात्मक अन्तध्र्वनि की बानगी, रूप एवं रागाधारित चित्रों का नामकरण जैसे सांगीतिक अनुभव, दर्शक एवं रचनाकार की आनुभाविक प्रवृत्तियां भाव विशेष जगाने में सहायक होती हैं।

Authors and Affiliations

धर्मेन्द्र कुमार
शोधार्थी, दृश्यकला विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश।
ए. के. जैतली
प्रोफेसर, दृश्यकला विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश।

दृश्यमान, सांगीतिक, बोधाभिव्यंजना, सांगीतिक, सैद्धान्तिक।

  1. शर्मा हरद्वारी लाल, कला में संगीत साहित्य और उदात्र के तत्व, पृष्ठ 4
  2. सुमहेन्द्र, संगीत, काव्य एवं कला की त्रिवेणी, सुजस पृष्ठ 40
  3. रामनाथ, मध्यकालीन भारतीय कलाएं एवं उनका विकास पृष्ठ 28
  4. रामनाथ, मध्यकालीन भारतीय कलाएं एवं उनका विकास पृष्ठ 28
  5. रामनाथ, मध्यकालीन भारतीय कलाएं एवं उनका विकास पृष्ठ 29
  6. रामनाथ, मध्यकालीन भारतीय कलाएं एवं उनका विकास पृष्ठ 30
  7. सुमहेन्द्र, संगीत, काव्य एवं कला की त्रिवेणी, सुजस पृष्ठ 40
  8. मिश्रा प्रेमा, भारतीय सौन्दर्यशास्त्र एवं ललित कलाएं पृष्ठ 159-169
  9. एबेलिंग क्लास, रागमाला, स्पैन-दिस. 1973 पृष्ठ 20-22
  10. राय निहाररंजन, भारतीय कला का अध्ययन, पृष्ठ 135

Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 3 | May-June 2019
Date of Publication : 2019-05-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 222-226
Manuscript Number : SHISRRJ214241
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

धर्मेन्द्र कुमार, ए. के. जैतली, "दृश्यमान सांगीतिक बोधाभिव्यंजना ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 2, Issue 3, pp.222-226, May-June.2019
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ214241

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