Manuscript Number : SHISRRJ21425
ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य और पोषण: एक समग्र दृष्टिकोंण
Authors(1) :-डाॅ. शाहेदा सिद्दीकी कुपोषण की शब्दावली का उपयोग आमतौर पर अल्प-पोषण और अतिपोषण तथा इनसे संबंधित चुनौतियों को बताने के लिए किया जाता है। अधिकतर स्थितियों में किसी एक तरह के कुपोषण की अधिकता पाई जाती है। अब यह महसूस किया जा रहा है कि कई देशों में अल्प और अति-पोषण दोनों का प्रकोप नई चुनौती के रूप में उभर कर सामने आ रहा है जिसे ‘कुपोषण की दोहरी चुनौती’ बताया जा रहा है। यह दोहरा संकट स्वास्थ्य संबंधी प्रयासों के परिणामों और जनता की उŸारजीविता पर असर डालता है। भारत में अल्प-पोषण जहां प्रमुख और जबर्दस्त चुनौती बना हुआ है, वहीं अतिपोषण का मसला भी एक वास्तविकता है। इसलिए अब वक्त आ गया है जब भारत को कुपोषण से निबटने के लिए समग्र दृष्टिकोंण अपनाने की आवश्यकता है ताकि ‘कुपोषण की दोहरी चुनौती’ पर ध्यान केंद्रित किया जा सके और इससे निपटने के लिए उपयुक्त रणनीति अपनाई जा सके।
डाॅ. शाहेदा सिद्दीकी कुपोषण, अल्प-पोषण, अतिपोषण, उŸारजीविता, दोहरी चुनौती आदि। Publication Details Published in : Volume 4 | Issue 2 | March-April 2021 Article Preview
प्राध्यापक (समाजशाó), शा. ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय, रीवा, मध्य प्रदेश, भारत।
Date of Publication : 2021-03-30
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Page(s) : 07-15
Manuscript Number : SHISRRJ21425
Publisher : Shauryam Research Institute
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