Manuscript Number : SHISRRJ214250
काशीनाथ सिंह का कथासाहित्य : आलोचनात्मक मूल्यांकन
Authors(1) :-स्वाति सिंह काशीनाथ सिंह का कथासाहित्य आजादी के बाद साठोत्तरी हिंदी कहानी से शुरू होकर 21वीं सदी के दो दशक तक फैला है। वे अपने कथासाहित्य में ऐतिहासिक विकासक्रम में स्वयं को जाँचते-बदलते एक सहज-सजग लेखक के रूप में हिंदी साहित्य में अपनी जगह सुनिश्चित की है। काशीनाथ जीवंत कथा भाषा में सामान्यजन के हिमायती बन कर प्रस्तुत हुए। उनका संपूर्ण कथासाहित्य उपेक्षित-शोषित और परिस्थितजन्य हताशा से जनित लोगों का आख्यान है जिसमें स्थानीयता और वैश्विक मंतव्य एक साथ प्रस्तुत हुआ है।
स्वाति सिंह काशीनाथ सिंह, कथासाहित्य, आजादी, ऐतिहासिक, उपेक्षित-शोषित, परिस्थितजन्य, स्थानीयता, वैश्विक। Publication Details Published in : Volume 4 | Issue 2 | March-April 2021 Article Preview
शोध छात्रा, हिन्दी विभाग, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत।
Date of Publication : 2021-03-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 236-243
Manuscript Number : SHISRRJ214250
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ214250