काशीनाथ सिंह का कथासाहित्य : आलोचनात्मक मूल्यांकन

Authors(1) :-स्वाति सिंह

काशीनाथ सिंह का कथासाहित्य आजादी के बाद साठोत्तरी हिंदी कहानी से शुरू होकर 21वीं सदी के दो दशक तक फैला है। वे अपने कथासाहित्य में ऐतिहासिक विकासक्रम में स्वयं को जाँचते-बदलते एक सहज-सजग लेखक के रूप में हिंदी साहित्य में अपनी जगह सुनिश्चित की है। काशीनाथ जीवंत कथा भाषा में सामान्यजन के हिमायती बन कर प्रस्तुत हुए। उनका संपूर्ण कथासाहित्य उपेक्षित-शोषित और परिस्थितजन्य हताशा से जनित लोगों का आख्यान है जिसमें स्थानीयता और वैश्विक मंतव्य एक साथ प्रस्तुत हुआ है।

Authors and Affiliations

स्वाति सिंह
शोध छात्रा, हिन्दी विभाग, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत।

काशीनाथ सिंह, कथासाहित्य, आजादी, ऐतिहासिक, उपेक्षित-शोषित, परिस्थितजन्य, स्थानीयता, वैश्विक।

  1. काशीनाथ सिंह, घर का जोगी जोगड़ा, राजकमल प्रकाशन, दिल्ली, 2006,पृ. 82
  2. नरेंद्र मोहन, (सं.) समकालीन कहानियां, भाग 2, भारतीय प्रकाशन संस्थान दिल्ली, 2000 पृ. 50
  3. वागर्थ, अंक 2, सितंबर 1998, पृ. 28
  4. प्रहलाद अग्रवाल, हिंदी कहानी:सातवां दशक,दि मैकमिलन कंपनी ऑफ इंडिया लि.,1975, पृ. 43
  5. मनीष दूबे, (सं.) काशी पर कहन, वर्षा प्रकाशन,इलाहाबाद, 2005, पृ. 312
  6. वही, पृ.164
  7. वागर्थ, अंक-2 सितम्बर 1998, पृ. 28
  8. काशीनाथ सिंह, सदी का सबसे बड़ा आदमी, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली,1989, (भूमिका)
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  10. काशीनाथ सिंह, रेहन पर रग्घू, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली, 2008,  पृ. 54
  11. अभिजीत सिंह, कासी बसै जुलाहा एक, आनंद प्रकाशन, दिल्ली,2017, पृ. 98
  12. काशीनाथ सिंह, रेहन पर रग्घू, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली, 2008, पृ. 54
  13. काशीनाथ सिंह, महुआ चरित, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली,  2019, पृ. 98
  14. वही, पृ. 50
  15. काशीनाथ सिंह, कहनी उपखान, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली, 2019, पृ. 236
  16. वही, पृ. 263
  17. वही, पृ. 312
  18. वही, पृ. 163
  19. वही, पृ. 165
  20. वही, पृ. 165
  21. काशीनाथ सिंह, रेहन पर रग्घू, राजकमल प्रकाशन, 2008, नई दिल्ली, पृ. 89
  22. नरेन्द्र सिंह, साठोत्तरी हिन्दी कविता में जनवादी चेतना, वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली,1990, पृ. 41
  23. मनीष दूबे, (सं.) काशी पर कहन, वर्षा प्रकाशन,इलाहाबाद, 2005, पृ. 120
  24. काशीनाथ सिंह, लेखक से छेड़छाड़, किताबघर प्रकाशन,नई दिल्ली, 2013, पृ. 129
  25. काशीनाथ सिंह, महुआ चरित, राजकमल प्रकाशन, 2019, नई दिल्ली, पृ. 89
  26. प्रफुल्ल कोलख्यान, कथा-कथांतर और कथोपरांत काशी का अस्सी, पृ. 05
  27. https://archive.org/details/PrafullaKolkhyanKATHKTHANTARKASHIKAASSI/page/n3/mode/1up

Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 2 | March-April 2021
Date of Publication : 2021-03-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 236-243
Manuscript Number : SHISRRJ214250
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

स्वाति सिंह, "काशीनाथ सिंह का कथासाहित्य : आलोचनात्मक मूल्यांकन", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 4, Issue 2, pp.236-243, March-April.2021
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ214250

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