सामयिक परिप्रेक्ष्य में वृद्धजनों की स्थिति

Authors(1) :-डाॅ. रचना श्रीवास्तव

वृद्धजन किसी भी देश की जनसंख्या का एक महत्वपूर्ण भाग होते हैं, जिनकी अनदेखी नहीं की जा सकती है। साथ ही किसी भी समाज के संगठन एवं विकास में वृद्धजनों की भूमिका भी अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है। वृद्धजन का वर्ग एक ओर समाज की विरासत अर्थात् पुरातन परम्पराओं एवं व्यवस्थाओं का पोषण एवं संरक्षण करता है तथा दूसरी ओर अपने जीवन के खट्ठे-मीठे अनुभवों की सहायता से नवीन पीढ़ी का मार्गदर्शन भी करता है। यह वर्ग समाज के अतीत को वर्तमान से जोड़ने में एक सेतू के रूप में कार्य करता था परन्तु आज वैश्वीकरण, नगरीकरण, औद्योगीकरण आदि के कारण जो नवीन मूल्य प्रतिमान विकसित हुए हैं, उनमें वृद्धजनों का जीवन अनेक समस्याओं से ग्रस्त हो रहा है। आज परिवार में वृद्धों की देखभाल एक समस्या बन गयी है। वर्तमान में वृद्धों की हालत बहुत दयनीय हो गयी है। यह एक चिंता का विषय है। प्रस्तुत शोधपत्र का मुख्य उद्देश्य वर्तमान में रीवा नगर के परिवारों में वृद्धों की स्थिति का अध्ययन करना है।

Authors and Affiliations

डाॅ. रचना श्रीवास्तव
प्राध्यापक (समाजशाó), शा.क. स्नातकोŸार महाविद्यालय, रीवा, मध्य प्रदेश, भारत।

वैश्वीकरण, औद्योगीकरण, नगरीकरण, जीवन प्रत्याशा, पोषण एवं संरक्षण।

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Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 2 | March-April 2021
Date of Publication : 2021-03-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 26-33
Manuscript Number : SHISRRJ21428
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डाॅ. रचना श्रीवास्तव, "सामयिक परिप्रेक्ष्य में वृद्धजनों की स्थिति ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 4, Issue 2, pp.26-33, March-April.2021
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ21428

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