Manuscript Number : SHISRRJ214314
सुभद्रा कुमारी चैहान के साहित्य में राष्ट्रीय चेतना
Authors(2) :-देव अमर सिंह, डाॅ. अनुराग मिश्र आधुनिक हिन्दी साहित्य के इतिहास में एक कवयित्री के तौर पर सुभद्रा कुमारी चैहान का महत्वपूर्ण स्थान है। उनकी कविताएँ अंग्रेजी साम्राज्यवाद व उपनिवेशवाद के विरोध मंे भारतीय आकांक्षाओं को बेहद तीव्रता व गहनता से मूर्त रूप प्रदान करती हैं। ‘झाँसी की रानी’ व अन्य राष्ट्रवादी कविताओं की व्यापक प्रसिद्धि के कारण उनकी पहचान मुख्यतः कवयित्री की ही रही है। सुभद्रा कुमारी चैहान ने कहानियाँ भी लिखी हैं, जो उतनी ही महत्वपूर्ण हैं जितना उनका काव्य-लेखन। वास्तव में, उनकी कहानियाँ काव्य-संवेदना के पूरक और अनेक संदर्भों में विस्तार के आयामों को प्रस्तुत करती हैं। स्वतन्त्रता-आन्दोलन के समय की भारतीय स्त्रियों की पहचान, उनकी सक्रियता और उनकी संभावनाओं का वृहद परिदृश्य सुभद्रा कुमारी चैहान की कहानियों से ही बनता दिखाई देता है। वह नारी-मुक्ति की आकांक्षा को स्वाधीनता-मुक्ति के बृहत परिप्रेक्ष्य में ही रखकर देखती हैं और सामाजिक ढांचे के यथास्थितिवादी चिह्नों की सटीक पहचान प्रस्तुत करती हैं। भारतीय मूल्यों की प्रतिस्थापना, सामाजिक सार्थकता और सामयिक जीवन-स्थितियों का निवेश उनकी कहानियों को ऐतिहासिक महत्व तो प्रदान करता ही है, उसे उत्तरवर्ती भारतीय जीवन के लिए भी प्रासंगिक बनता हैं।
देव अमर सिंह स्वतंत्रता- आन्दोलन, औपनिवेशिक चेतना, महादेवी वर्मा, बच्चन सिंह, डाॅ. नगेन्द्र, असहयोग आन्दोलन, स्त्री-चेतना। Publication Details Published in : Volume 4 | Issue 3 | May-June 2021 Article Preview
शोधार्थी, हिन्दी विभाग, का.सु. साकेत स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अयोध्या
डाॅ. अनुराग मिश्र
एसो. प्रोफेसर, हिन्दी विभाग, का.सु.साकेत स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अयोध्या, (उत्तर प्रदेश)
Date of Publication : 2021-06-10
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 84-90
Manuscript Number : SHISRRJ214314
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ214314