समाज के चितेरे कथाकार प्रेमचन्द का उत्स संस्कृत साहित्य में

Authors(1) :-डाॅ0 मधु शर्मा

सारांश-संस्कृत के नीतिकारों से लेकर आधुनिक भाषा साहित्य के प्रेमचंद आदि साहित्य-शिल्पियों की सर्जन-धर्मी चेतना प्रायः एक समान समाज-चिन्तन से परिचालित रही है। यही कारण हैं कि काव्य का विराट अन्तराल होते हुए भी उक्त दोनों ही प्रकार के कृतिकार आश्चर्यजनक रूप से सामाजिक सम्बन्धों की एक सी ही उष्मा के उपासक रहे हैं, युग के ध्रुवों पर स्थित होते हुए भी वे समाज-सम्बन्धी एक से ही मूल्यों और आदर्शों का आह्वान करते हैं। कहना ही होगा कि इस यात्रा में भारतीय वाङ्मय में अलंकार योजना बदली, काव्य ‘सौन्दर्य’ विषयक दृष्टि तथा सृष्टि बदली, शिल्प बदले यहाँ तक कि भाषाएँ भी बदल गईं पर समाज-चित्रण-गत जैसी अक्षुण्ण परम्परा यहाँ विद्यमान हैं वैसी निःसन्देह विश्व के किसी भी क्षेत्र में नहीं।

Authors and Affiliations

डाॅ0 मधु शर्मा
एसोसिएट प्रोफेसर, हिन्दी विभाग नानकचन्द ऐंग्लो संस्कृत महाविद्यालय, मेरठ।,भारत

समाज, कथाकार, प्रेमचन्द्र, संस्कृत, साहित्य, काव्यसौन्दर्य, मूल्य, आदर्श।

  1. ऋग्वेद-8/18/11
  2. यजुर्वेद- 32/10
  3. सामवेद-184
  4. अथर्ववेद-11/1/3
  5. अश्वघोष बुद्धचरित- 11/4
  6. शुक्रनीति- 3/257
  7. प्रेमचन्द-मानसरोवर भाग-3, ‘डिक्री के रुपये’
  8. प्रेमचन्द-मानसरोवर भाग-4, ‘माँगे की घड़ी’
  9. वही
  10. वही
  11. वही
  12. वही
  13. प्रेमचन्द-मानसरोवर भाग-3, ‘डिक्री के रुपये’
  14. आपस्तम्बधर्मसूत्र-3-65
  15. मनुस्मृति- 3/99
  16. हितोपदेश, मित्रलाभ-63
  17. प्रेमचन्द-मानसरोवर भाग, बाबा जी का भोग
  18. वही, भाग-5, ममता
  19. वही, भाग-4, सवा सेर गेहूँ
  20. वही, भाग-3, डिक्री के रुपये
  21. भर्तृहरि- नीतिशतकम्-श्लोक-23
  22. भर्तृहरि- नीतिशतकम्-श्लोक-62
  23. भर्तृहरि- नीतिशतकम्-श्लोक-104
  24. हितोपदेश- श्लोक-41, प्रस्ताविका- 33-42
  25. हितोपदेश-श्लोक-42
  26. प्रेमचन्द-मानसरोवर भाग-5, अग्नि-समाधि
  27. वही, भाग-4, माँगे की घड़ी
  28. वही, भाग-4, माँगे की घड़ी
  29. वही, भाग-7, शंखनाद
  30. कालिदास ग्रंथावली-पं० सीताराम चतुर्वेदी-सूक्तियाँ-पृ० 41
  31. वेदव्यास
  32. भर्तृहरि- नीतिशतकम्, श्लोक 63
  33. वही-श्लोक, 65
  34. प्रेमचन्द-मानसरोवर-भाग-6, शाप
  35. वही, भाग-6, त्यागी का प्रेम
  36. वही
  37. वही, शाप
  38. वही, भाग-5, हिंसा परमो धर्मः।

Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 3 | May-June 2021
Date of Publication : 2021-06-10
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 109-116
Manuscript Number : SHISRRJ214322
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डाॅ0 मधु शर्मा, "समाज के चितेरे कथाकार प्रेमचन्द का उत्स संस्कृत साहित्य में ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 4, Issue 3, pp.109-116, May-June.2021
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ214322

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