Manuscript Number : SHISRRJ214331
अनिता भारती की कहानियाँ और दलित स्त्री चेतना
Authors(1) :-कविता पासवान अनिता भारती की कहानियों में दलितों के संघर्षपूर्ण जीवन की सफल प्रस्तुति को देखा जा सकता है। उनकी कहानियों में उपस्थित दलित स्त्री पात्र सवर्णों द्वारा किये जाने वाले अत्याचार को सहती नहीं हैं बल्कि उसका साहस और हिम्मत के साथ विरोध करती हैं जो दलित स्त्रियों में आने वाली चेतना का द्योतक है। क्योंकि अब दलित स्त्रियां ब्राह्मणवादी पितृसत्ता के साथ–साथ दलित पितृसत्ता को भी चुनौती दे रही हैं। वह पितृसत्ता द्वारा स्त्रियों के लिए बनाये गये बन्धनों से मुक्ति की मांग करते हुए, एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहती हैं जहाँ स्त्री–पुरुष का भेद न हो, बल्कि इंसान को केवल एक इंसान के रुप में देखा जाये। जाति, लिंग तथा आर्थिक स्थिति के कारण जिस तिहरे शोषण को दलित स्त्रियों ने सहा है उसका पूरी ताकत के साथ विरोध करते हुए लेखिका दलित स्त्रियों को हर तरह के अन्याय तथा अत्याचार के खिलाफ लड़ने के लिए खड़ा करती हैं। इतना ही नहीं अनिता भारती अपनी कहानियों में दलित स्त्रियों के साथ–साथ गैरदलित स्त्रियों के जीवन की सच्चाई को भी उजागर करती हैं।
कविता पासवान अनिता भारती, कहानियाँ, दलित, स्त्री, चेतना, समाज, शोषण, उत्पीड़न, विरोध। Publication Details Published in : Volume 4 | Issue 3 | May-June 2021 Article Preview
शोधार्थी, भारतीय भाषा केन्द्र, जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय, नई दिल्ली।
Date of Publication : 2021-06-10
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 173-177
Manuscript Number : SHISRRJ214331
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ214331