Manuscript Number : SHISRRJ214333
संधृत कृषि विकास हेतु भूमि उपयोग दक्षता का मापन एवं नियोजन (तहसील डलमऊ, जनपद रायबरेली, उ0 प्र0 का एक भौगोलिक विश्लेषण)
Authors(1) :-डाॅ0 आर0 एस0 चन्देल
श्भारत गाँवों का देश है। भारत की आत्मा गाँवों में निवास करती है। अतः गाँवों के विकास से ही भारत का विकास सम्भव है (महात्मा गाँधी )श्। गाँवों के विकास में कृषि की भूमिका सर्वविदित है, क्यांेकि प्राचीन काल से ही ग्रामीण वासियों का प्रमुख आर्थिक व्यवसाय कृषि एवं तत्सम्बन्धी अनुषंगीय व्यवसाय ही रहा है। इस प्रकार देश की ग्रामीण जनसंख्या के अधिकांश लोगों के लिए कृषि जीवन पद्धति का प्रमुख आधार है। भारत में धरातलीय विविधता, मृदा विविधता, मौसमी अनिश्चितता, सिंचाई सुविधाओं की कमी, खेतिहर भूमि की उपलब्धि, समीपता एवं बिखराव, पांरम्परिक जीविकोपार्जित कृषि व्यवस्था आदि के कारण कृषि में विविधता प्रारम्भ से ही रही है। कृषि को जीवन यापन के साधन के साथ ही साथ इसे व्यावसायिक रुप प्रदान करना भी वांछनीय है। व्यावसायिक कृषि के प्रोत्साहन में सिंचाई, उन्नतशील बीजों, जैव उर्वरकों, कीटनाशकों एवं आधुनिक मशीनों व यन्त्रांे के प्रयोग आदि का विशेष योगदान हो सकता है। साथ ही साथ कृषि एवं तत्सम्बन्धी अनुषंगीय व्यवसाय के सर्वांगीण विकास तथा आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक कार्यों की प्रत्युत्पन्नता हेतु भूमि एक आधारभूत प्राकृतिक संसाधन है इसलिए जनमानस की आवश्यकताओं के परिपेक्ष्य में भूमि अपनी मात्रात्मक एवं गुणात्मक क्षमतानुसार एक संसाधन के रूप में परिभाषित हो जाती हेै। भूमि उपयोग एक गत्यात्मक तत्व है, जो भौतिक दशाओं में परिवर्तन तथा मानव के सामाजिक-आर्थिक विकास, वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रगति के अनुरूप परिवर्तित, परिष्कृत एवं परिमार्जित होता रहता है। अतः संधृत कृषि विकास तभी संभव है जब किसी भौगोलिक क्षेत्र की भूमि उपयोग दक्षता विश्लेषित एवं निर्धारित हो। इन्ही तथ्यों को ध्यान में रखकर भूमि उपयोग दक्षता के निर्धारण हेतु प्र्रतीक अध्ययन के रूप में तहसील डलमऊ, जनपद रायबरेली, उ0 प्र0 का चयन किया गया है।
डाॅ0 आर0 एस0 चन्देल
जीविकोपार्जित कृषि, संधृत कृषि विकास कृषि अनुषंगीय व्यवसाय, व्यावसायिक कृषि, भूमि संसाधन उपयोग भूमि उपयोग दक्षता, मात्रात्मक गुणात्मक, अवस्थापनात्मक तत्व।
Publication Details Published in : Volume 4 | Issue 3 | May-June 2021 Article Preview
एसोसिएट प्र्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, भूगोल विभाग,
कमला नेहरु स्नातकोत्तर महाविद्यालय तेजगाँव, रायबरेली, , उत्तर प्रदेश, भारत।
Date of Publication : 2021-06-10
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 181-193
Manuscript Number : SHISRRJ214333
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ214333