Manuscript Number : SHISRRJ214334
मत्स्येन्द्र शुक्ल की कविताओं में गरीब किसानों का आत्मसंघर्ष
Authors(1) :-अर्चना शुक्ला कवि मत्स्येन्द्र इस सत्य से परिचित हैं कि किसान ही इस धरती का प्रथम उत्पादक है। किसान की मेहनत के बिना किसी प्रकार का खाद्य उत्पादक सम्भव नहीं है। हम अपने मुख से जितनी भी वस्तुएँ पेट में उतारते हैं वह किसी न किसी रूप में हमें धरती से ही प्राप्त होती है। इसके साथ यह सत्य भी जुड़ा हुआ है कि प्रत्येक वस्तु जो धरती से पैदा होती है उसका जन्मदाता किसान ही होता है। किसान के बिना जीवन सम्भव है, पर किसानी के बिना नहीं।
अर्चना शुक्ला मत्स्येन्द्र शुक्ल, कविता, गरीब किसान, आत्मसंघर्ष, जन्मदाता। Publication Details Published in : Volume 4 | Issue 3 | May-June 2021 Article Preview
शोध छात्रा, हिन्दी विभाग अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रींवा (म0प्र0), भारत।
Date of Publication : 2021-06-10
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 194-197
Manuscript Number : SHISRRJ214334
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ214334