आधुनिक संस्कृतसाहित्य में गलज्जलिका ; काव्यशास्त्रीय दृष्टि

Authors(1) :-डाॅ. सन्दीप कुमार द्विवेदी

- गीतिकाव्य या गेयकाव्य का माधुर्य काव्यरसिकों को स्वतः ही आकृष्ट कर लेता है। कवि गण गीतियों के माध्यम से काव्य की सरस अभिव्यक्ति को पुष्ट करते रहे हैं। समानान्तर प्रवर्तमान काव्यशास्त्रीय परम्परा में आचार्यों ने काव्य के तत्त्वों पर गम्भीर चिन्तन कर तथा काव्य रचना की प्रकृति के आधार पर उसे लक्षणबद्ध कर मूल स्वरूप कोे उद्घाटित किया है तथा आज भी कर रहे हैं। भाषान्तर काव्यविधा गजल के माध्यम से भी संस्कृत भाषा के कवियों ने अपने कौशल एवं कल्पनावैशिष्ट्य को काव्य रसिकों के सम्मुख प्रस्तुत किया है अत एव साम्प्रतिक काव्यशास्त्री आचार्यों ने संस्कृत गजल गीति के स्वरूप, अवयव, तथा प्रतिपाद्य के आधार पर लक्षणबद्व कर संस्कृत काव्यशास्त्र में स्थान दिया है।

Authors and Affiliations

डाॅ. सन्दीप कुमार द्विवेदी
सहायक प्राध्यापक संस्कृत भारतीय महाविद्यालय फर्रुखाबाद

गेयकाव्य, रागकाव्य, गलज्जलिका, गजलगीति, मतला, शेर, मकता, आरम्भिका, मध्यिका, अन्त्यिका, काव्यशास्त्र, लक्षण, अन्त्यश्रुति, रदीफ़, उपान्त्यश्रुति, काफ़िया आदि।

  1. अभिनवभारती, अभिनव गुप्त, बड़ौदा संस्करण 1956ई.।
  2. साहित्यदर्पण, विश्वनाथ, चैखम्बा सुरभारती प्रकाशन वाराणसी, प्रकाशन वर्ष 2008।
  3. अभिराजयशोभूषण, अभिराजराजेन्द्र मिश्र, वैजयन्त प्रकाशन, इलाहाबाद, प्रकाशन वर्ष 2006।
  4. अभिनवकाव्यालंकारसूत्रम्, राधावल्लभ त्रिपाठी, जगदीश पुस्तक भण्डार जयपुर प्रकाशन वर्ष 2009।
  5. अभिज्ञान शाकुन्तलम्, कालिदास, चैखम्बा अमरभारती प्रकाशन वाराणसी, प्रकाशन वर्ष 2010।
  6. नाट्यशास्त्र, आचार्य भरत, चैखम्बा संस्कृत संस्थान वाराणसी, प्रकाशन वर्ष 1980।

Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 4 | July-August 2021
Date of Publication : 2021-08-10
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 42-47
Manuscript Number : SHISRRJ214426
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डाॅ. सन्दीप कुमार द्विवेदी, "आधुनिक संस्कृतसाहित्य में गलज्जलिका ; काव्यशास्त्रीय दृष्टि", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 4, Issue 4, pp.42-47, July-August.2021
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ214426

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