चन्द्रकला नाटिका का वैशिष्ट्य

Authors(2) :-रति सिंह, डाo देवनारायण पाठक

आचार्य विश्वनाथ ने अपनी नवनवोन्मेषी प्रतिभा के द्वारा चन्द्रकला नाटिका की विशेषता पर विवेचना प्रस्तुत की है। अन्य आचार्यो के भाँति इनकी नाटिका भी अनेक दृष्टिकोणों से पृथक एवं विशिष्ट प्रतीत होता है। प्राचीन नाट्यकारों ने जहाँ नाटकों के माध्यम से आनन्द की प्राप्ति सहृदय समाजिकों को प्रदान की है वही आचार्य के द्वारा नाटिका की रचना करके समस्त आनन्द की अनुभूति से युक्त अपने वैशिष्ट्य को व्यक्त करती है।

Authors and Affiliations

रति सिंह
वरिष्ठ शोधच्छात्रा, संस्कृत विभाग, नेहरु ग्राम भारती मानित विश्वविद्यालय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश।
डाo देवनारायण पाठक
संस्कृत विभागाध्क्ष, नेहरु ग्राम भारती मानित विश्वविद्यालय, प्रयागराज, उत्तरप्रदेश

आचार्य विश्वनाथ, चन्द्रकला, नाटिका, वैशिष्ट्य नाट्यकार, शास्त्रीय।

  1. चन्द्रकला नाटिका - श्री बाबू लाल शुक्ल शास्त्री
  2. चन्द्रकला नाटिका - डॉ0 जयशंकर त्रिपाठी
  3. दशरुपक - डा0 धनञ्जय
  4. काव्यप्रकाश - आ0 विश्वेश्वर
  5. साहित्यदर्पण - विश्वनाथ कविराज लक्ष्मी टीका
  6. ध्वन्यालोक - आ0 विश्वेश्वर
  7. ध्वन्यालोकलोचन - अभिनवगुप्त
  8. नाट्यदर्पण - रामचन्द्र, गुणचन्द्र (हिन्दी व्याख्या)
  9. अभिज्ञानशाकुन्तलम् - कालिदास
  10. अभिनयदर्पण - नन्दिकेश्वर, के.एन. मुखोपाध्याय
  11. अभिनव भारती - अभिनवगुप्त
  12. काव्यादर्श - दण्डी
  13. काव्यानुशासन - हेमचन्द्र
  14. काव्यालङ्कार - रुद्रट
  15. काव्यालङ्कार - भामह
  16. काव्यालङ्कारसंग्रह - उद्भट्ट

Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 4 | July-August 2021
Date of Publication : 2021-08-10
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 71-73
Manuscript Number : SHISRRJ214432
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

रति सिंह, डाo देवनारायण पाठक , "चन्द्रकला नाटिका का वैशिष्ट्य", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 4, Issue 4, pp.71-73, July-August.2021
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ214432

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