भक्ति रस की अवधारणा (श्रीरूपगोस्वामी के अनुसार)

Authors(2) :-स्वाती द्विवेदी, संस्कृत विभागाध्यक्ष

आचार्य रूपगोस्वामी ने भरतमुनि के रससूत्र के आलोक में भक्तिरस को प्रतिष्ठापित किया। अपने ग्रन्थ ‘भक्तिरसामृतसिन्धु’ में भक्तिरस को निरूपित करते हुए ‘सामग्री परिपोषेण रसरूपता’ अर्थात् विभावादि सामग्री के द्वारा परिपुष्ट कृष्ण विषयक रति (भगवद् भक्ति) को ही भक्तिरस माना है। यद्यपि भक्ति अथवा प्रीतिविषयक रति की अवधारणा प्राचीन काव्यशास्त्रियों के काव्यों में विद्यमान है तथापि भक्ति रस को काव्यगत रूप प्रदान कर उसे प्रतिष्ठित करने का श्रेय श्रीरूपगोस्वामी को ही है।

Authors and Affiliations

स्वाती द्विवेदी
वरिष्ठ शोधच्छात्रा, संस्कृत विभाग, नेहरू ग्राम भारती मानित विश्वविद्यालय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
संस्कृत विभागाध्यक्ष
संस्कृत विभागाध्यक्ष, नेहरू ग्रामभारती मानित विश्वविद्यालय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश।

रस, भक्तिरस, काव्यशास्त्र, मधुर रस, चित्त, सिद्धान्त, श्रीरूपगोस्वामी।

  1. दशरूपक आचार्य धनंजय, प्रथम प्रकाश, पृ०सं० 18
  2. न हि रसादृते कश्चिदर्थ प्रवर्तते-नाट्यशास्त्र, आचार्य भरत, चै०, पृ०सं० 10/71
  3. ‘‘नाट्याख्यं पंचम वेदं‘‘ नाट्यशास्त्र आचार्य भरत, चै०, पृ०सं० 1/15
  4. नाट्यशास्त्र - आचार्य भरत, चै०, पृ०सं० 1/17
  5. वाचा वदामि मधुमद् भूयास मधुसन्दृशः 10/24/6, 5/73/8, 12/1/16
  6. प्राणे वा अंगानां रसः-बृहदारण्यकोपनिषद्
  7. तैत्तिरीयोपनिषद् 2/7/1
  8. नाट्यशास्त्र आचार्य भरतमुनि- 6-16
  9. काव्यप्रकाश आचार्य मम्मट-चतुर्थ उल्लास- पृ०सं० 138 सूत्र 47
  10. नाट्यशास्त्र - आचार्य भरत मुनि
  11. विभावैरनुभावैश्च.......भक्तिरसोभवेत्। भ०र०सि० रूपगोस्वामी दक्षिण विभाग, लहरी प्रथम, श्लोक 5,6
  12. भक्तिरसामृतसिन्धु-रूपगोस्वामी
  13. तनवभावित स्वान्तः कृष्णभक्ता इतीरिता।
  14. भक्तिरसामृतसिन्धु- रूपगोस्वामी- पू०वि०, लहरी-11-13
  15. आत्मोचितैर्विभावाद्यैः पुष्टि नीता सतां हृदि............. । ह०भ०र०सि० प०वि०लव 5
  16. नाट्यशास्त्र - आचार्य भरत 6/31
  17. अनुभावस्तु चित्तस्थभावनामबोधकः । ते बहिर्विक्रियाप्रायाः प्रोक्ता उनसुराख्यया
  18. भ०र०सि०-रूपगोस्वामी दक्षिण विभाग अनुभावलहरी का० प्रथम
  19. भक्तिरसामृतसिन्धु-रूपगोस्वामी

Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 4 | July-August 2021
Date of Publication : 2021-08-10
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 74-78
Manuscript Number : SHISRRJ214433
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

स्वाती द्विवेदी, संस्कृत विभागाध्यक्ष, "भक्ति रस की अवधारणा (श्रीरूपगोस्वामी के अनुसार)", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 4, Issue 4, pp.74-78, July-August.2021
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ214433

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