वैश्विक पटल पर गोंड कला की सम्भावनाएँ

Authors(1) :-गोरे लाल

“चित्रकला की मौलिकता और अस्तित्व को बचाने के लिए हस्तशिल्प विकास निगम, ललित कला अकादमी जैसी संस्थाएँ जनजातीय चित्रकला की उत्कृष्टता को प्रोत्साहन देकर और उनके द्वारा निर्मित सामग्रियों की प्रदर्शनी लगाकर इस दिशा में अहम पहल कर सकती हैं जिससे कलाकारों को लोकप्रियता तथा अधिकतम आर्थिक लाभ मिल सके”। वेंकट रमन सिंह श्याम का कहना है कि शैक्षिक धरातल पर जिस प्रकार से बी.एफ.ए. और एम.एफ.ए. के कोर्स संस्थाओं में चल रहे हैं उसी प्रकार से गोंडकला के लिए भी संस्थाएँ होनी चाहिए। मध्यप्रदेश सरकार को इस विषय पर कोई ठोस निर्णय लेकर चित्रकारों एवं कला संस्थानों को प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि वैश्विक पटल पर गोंडकला की सम्भावनाएं और तेजी से आगे बढ़ सकें।

Authors and Affiliations

गोरे लाल
शोध छात्र, महात्मा गाँधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, चित्रकूट, सतना, मध्यप्रदेश।

वैश्विक पटल, गोंड, कला, चित्रकार, जनजातीय, लोकप्रियता।

01. समकालीन कला: अंक 18 नव. 2000 पृष्ठ- 26।
02. समकालीन कला: अंक 42-43 जुलाई-अक्टूबर 2010 नवंबर 2010 फरवरी 2011 पृष्ठ-62।
03. समकालीन कला ः अंक 42-43 जुलाई-अक्टूबर 2010 नवंबर 2010 फरवरी 2011 पृष्ठ-63।

Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 1 | January-February 2021
Date of Publication : 2021-01-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 231-235
Manuscript Number : SHISRRJ21448
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

गोरे लाल, "वैश्विक पटल पर गोंड कला की सम्भावनाएँ ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 4, Issue 1, pp.231-235, January-February.2021
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ21448

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