Manuscript Number : SHISRRJ21463
जलवायु परिवर्तन: संकट की आहट
Authors(1) :-डाॅ. सरन पाल सिंह प्रस्तुत लेख जलवायु परिवर्तन की धारणा को संधारणीय विकास की चुनौती के रुप में लक्षित करता है। यह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों तथा दुष्प्रभावों का परीक्षण करने के साथ साथ जलवायु परिवर्तन के लक्षित स्वरुप की जटिलता पर भी कुछ प्रकाश डालता है। यह लेख व्यक्तिगत प्रयासों के ऊपर सामूहिक कार्ययोजना एवं जनजागरुकता के महत्व पर भी प्रकाश डालता है। वैश्विक कार्ययोजना के पूरी तरह से अनुपालन न होने के पीछे के कारको को रेखाँकित करता हुआ यह लेख कारपोरेट की भूमिका, अन्र्त-पीड़िक न्याय, सामाजिक न्याय, गरीब देशों की भूमिका, जनसंख्या और पर्यावरण के अन्र्तसंबंधों आदि पर भी प्रकाश डालता है। यह लेख पर्यावरण के संकट से निपटने में जियो इंजीनयरिंग, निजी पूँजी की भूमिका का भी परीक्षण करता हैं। तकनीक के विकास एवं उसके चमत्कारों से निस्रत हमारी आशावादिता का परीक्षण करता हुआ यह लेख इसकी अन्र्तनिहित जटिलताओं की और संकेत करता है। जियों इंजीनयरिंग के सम्बन्ध में तत्काल एक वैश्विक कार्ययोजना एवं नीति की अपरिहार्यता को भी रेखाँकित करता है।
डाॅ. सरन पाल सिंह जलवायु, परिवर्तन,संकट, आहट, कार्ययोजना, वैश्विक,सम्बन्ध। Publication Details Published in : Volume 4 | Issue 6 | November-December 2021 Article Preview
प्रवक्ता अर्थशास्त्र, राजकीय महाविद्यालय, तिलहर, शाहजहांपुर।
Date of Publication : 2021-11-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 16-31
Manuscript Number : SHISRRJ21463
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ21463