Manuscript Number : SHISRRJ21469
प्राकृतिक संतुलन में व्यवधान और मानवाधिकारों का हनन करती आपदाएं
Authors(1) :-जितेन्द्र कुमार सरोज महाकवि कालिदास के श्रव्य काव्य कुमारसम्भव और रघुवंश में यत्र-तत्र करुण रस की पुष्टि हुर्इ है। एक ओर हम रघुवंश में महाराज ‘अज’ को अपनी प्रेयसी इन्दुमती के वियोग में विलाप करते हुए देखते हैं, तो दूसरी ओर कुमारसम्भव में ‘रति’ अपने प्रियतम ‘कामदेव’ के लिए कुररी के समान करुण क्रन्दन करते हुए दिखार्इ देती हैं। ‘रससिद्ध कवीश्वर’ ने स्नेह के दोनों ही आलम्बनों को लेकर करुण-रस की सफल अभिव्यंजना की है। इस प्रकार महाकवि कालिदास ने अपने दोनों अमर महाकाव्यों कुमारसम्भव एवं रघुवंश में रति विलाप एवं अज विलाप के माध्यम से करुण रस की साफल्येन पुष्टि की है।
जितेन्द्र कुमार सरोज महाकवि कालिदास, कुमारसम्भव, रघुवंश, रति, विलाप, करुण रस । काव्यमीमांसा, पृ0 3, संस्करण द्वितीय वि0संवत् 2040, आचार्य शेषराजशर्मा रेग्मी, चौखम्बा संस्कृत संस्थान, वाराणसी। Publication Details Published in : Volume 4 | Issue 6 | November-December 2021 Article Preview
शोध छात्र, मानवाधिकार विभाग, बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर, केन्द्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ, उत्तर प्रदेश।
Date of Publication : 2021-11-30
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Page(s) : 72-81
Manuscript Number : SHISRRJ21469
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ21469