प्राकृतिक संतुलन में व्यवधान और मानवाधिकारों का हनन करती आपदाएं

Authors(1) :-जितेन्द्र कुमार सरोज

महाकवि कालिदास के श्रव्य काव्य कुमारसम्भव और रघुवंश में यत्र-तत्र करुण रस की पुष्टि हुर्इ है। एक ओर हम रघुवंश में महाराज ‘अज’ को अपनी प्रेयसी इन्दुमती के वियोग में विलाप करते हुए देखते हैं, तो दूसरी ओर कुमारसम्भव में ‘रति’ अपने प्रियतम ‘कामदेव’ के लिए कुररी के समान करुण क्रन्दन करते हुए दिखार्इ देती हैं। ‘रससिद्ध कवीश्वर’ ने स्नेह के दोनों ही आलम्बनों को लेकर करुण-रस की सफल अभिव्यंजना की है। इस प्रकार महाकवि कालिदास ने अपने दोनों अमर महाकाव्‍यों कुमारसम्‍भव एवं रघुवंश में रति विलाप एवं अज विलाप के माध्‍यम से करुण रस की साफल्‍येन पुष्टि की है।

Authors and Affiliations

जितेन्द्र कुमार सरोज
शोध छात्र, मानवाधिकार विभाग, बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर, केन्द्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ, उत्तर प्रदेश।

महाकवि कालिदास, कुमारसम्भव, रघुवंश, रति, विलाप, करुण रस ।

  1. रूपकनिरूपणीयं भरत:। रसाधिकारिकं नन्दिकेश्‍वर:

काव्‍यमीमांसा, पृ0 3, संस्‍करण द्वितीय वि0संवत् 2040, आचार्य शेषराजशर्मा रेग्‍मी, चौखम्‍बा संस्‍कृत संस्‍थान, वाराणसी।

  1. श्रीमद्वाल्‍मीकिरामायण, बालकाण्‍ड: द्वितीय सर्ग श्‍लोक संख्‍या 15, सं0 2076 संस्‍करण पचपनवाँ, गीताप्रेस, गोरखपुर
  2. ध्‍वन्‍यालोक, प्रथम उद्योत कारिका संख्‍या 5, तृतीय संस्‍करण 2014, आचार्यचण्डिकाप्रसाद शुक्‍ल, विश्‍वविद्यालय प्रकाशन, वाराणसी
  3. रस सिद्धान्‍त की शास्‍त्रीय समीक्षा, पृ0 5, संस्‍करण 2000, प्रो0 सुरजनदास स्‍वामी, हंसा प्रकाशन, जयपुर।
  4. नाट्यशास्‍त्र, षष्‍ठ अध्‍याय, पृ0 324, संस्‍करण तृतीय, वि0सं0 2057, श्रीबाबूलाल शुक्‍ल, चौखम्‍बा संस्‍कृत संस्‍थान वाराणसी
  5. साहित्‍यदर्पण, 3/4,5, संस्‍करण सप्‍दश, वि0सं0 2076, सन् 2019, आचार्य शेषराज शर्मा रेग्‍मी, चौखम्‍बा कृष्‍णदास अकादमी, वाराणसी
  6. कुमासम्‍भवमहाकाव्‍यम्, 4/4, संस्‍करण तृतीय, 2006, श्री सुरेन्‍द्र प्रताप, नाग पब्लिशर्स दिल्‍ली
  7. कुमासम्‍भवमहाकाव्‍यम्, 4/6, संस्‍करण तृतीय, 2006, श्री सुरेन्‍द्र प्रताप, नाग पब्लिशर्स दिल्‍ली
  8. कुमासम्‍भवमहाकाव्‍यम्, 4/7, संस्‍करण तृतीय, 2006, श्री सुरेन्‍द्र प्रताप, नाग पब्लिशर्स दिल्‍ली
  9. कुमासम्‍भवमहाकाव्‍यम्, 4/9, संस्‍करण तृतीय, 2006, श्री सुरेन्‍द्र प्रताप, नाग पब्लिशर्स दिल्‍ली
  10. कुमासम्‍भवमहाकाव्‍यम्, 4/19, संस्‍करण तृतीय, 2006, श्री सुरेन्‍द्र प्रताप, नाग पब्लिशर्स दिल्‍ली
  11. कुमासम्‍भवमहाकाव्‍यम्, 4/32, संस्‍करण तृतीय, 2006, श्री सुरेन्‍द्र प्रताप, नाग पब्लिशर्स दिल्‍ली
  12. कुमासम्‍भवमहाकाव्‍यम्, 4/33, संस्‍करण तृतीय, 2006, श्री सुरेन्‍द्र प्रताप, नाग पब्लिशर्स दिल्‍ली
  13. कुमासम्‍भवमहाकाव्‍यम्, 4/38, संस्‍करण तृतीय, 2006, श्री सुरेन्‍द्र प्रताप, नाग पब्लिशर्स दिल्‍ली
  14. रघुवंशम् 8/43, संस्‍करण 2008 ई0, डॉ0 कृष्‍णमणि त्रिपाठी चौखम्‍बा सुरभारती प्रकाशन, वाराणसी
  15. रघुवंशम् 8/45, संस्‍करण 2008 ई0, डॉ0 कृष्‍णमणि त्रिपाठी चौखम्‍बा सुरभारती प्रकाशन, वाराणसी
  16. रघुवंशम् 8/46, संस्‍करण 2008 ई0, डॉ0 कृष्‍णमणि त्रिपाठी चौखम्‍बा सुरभारती प्रकाशन, वाराणसी
  17. रघुवंशम् 8/47, संस्‍करण 2008 ई0, डॉ0 कृष्‍णमणि त्रिपाठी चौखम्‍बा सुरभारती प्रकाशन, वाराणसी
  18. रघुवंशम् 8/48, संस्‍करण 2008 ई0, डॉ0 कृष्‍णमणि त्रिपाठी चौखम्‍बा सुरभारती प्रकाशन, वाराणसी
  19. रघुवंशम् 8/51, संस्‍करण 2008 ई0, डॉ0 कृष्‍णमणि त्रिपाठी चौखम्‍बा सुरभारती प्रकाशन, वाराणसी
  20. रघुवंशम् 8/56, संस्‍करण 2008 ई0, डॉ0 कृष्‍णमणि त्रिपाठी चौखम्‍बा सुरभारती प्रकाशन, वाराणसी
  21. रघुवंशम् 8/63, संस्‍करण 2008 ई0, डॉ0 कृष्‍णमणि त्रिपाठी चौखम्‍बा सुरभारती प्रकाशन, वाराणसी
  22. रघुवंशम् 8/64, संस्‍करण 2008 ई0, डॉ0 कृष्‍णमणि त्रिपाठी चौखम्‍बा सुरभारती प्रकाशन, वाराणसी
  23. रघुवंशम् 8/66, संस्‍करण 2008 ई0, डॉ0 कृष्‍णमणि त्रिपाठी चौखम्‍बा सुरभारती प्रकाशन, वाराणसी

Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 6 | November-December 2021
Date of Publication : 2021-11-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 72-81
Manuscript Number : SHISRRJ21469
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

जितेन्द्र कुमार सरोज, "प्राकृतिक संतुलन में व्यवधान और मानवाधिकारों का हनन करती आपदाएं ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 4, Issue 6, pp.72-81, November-December.2021
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ21469

Article Preview